दिल्ली में अस्पतालों की लापरवाही का मामला आया सामने ,जिसके बाद अस्पताल कालाइसेंस किया रद्द
महीने पहले भी दिल्ली में अस्पतालों की लापरवाही का मामला सामने आया था जिसके बाद अस्पताल का लाइसेंसे रद्द किया गया था और फिर जम कर राजनीति हुई थी । महीने बादल गयें लेकिन हालात नहीं बदलें , अस्पतालों की लापरवाह हरकतें नहीं बदली, उनका रवैया नहीं बदला ।
दिल्ली के बड़े अस्पताल अपनी लापरवाहियों पर कोई लगाम लगाने को तैयार नहीं हैं । स्वास्थ्य के नाम पर दिल्ली में कोई बड़े नाम का हॉस्पिटल कितना पैसा लूटता हैं इसका अंदाजा शायद आपमे से क्यी लोगो को होगा । आए दिन इनकी गलतियाँ और इसके द्वारा मरीजों को मिलने वाली पीड़ाएँ अखबारों की सुखियों में रहती हैं। लेकिन चिकित्सा के क्षेत्र का बड़ा नाम होने के कारण उन्हे किसी बात का डर नहीं हैं । ताजा मामला आया हैं दिल्ली के रोहिणी स्थित जयपुर गोल्डेन हॉस्पिटल का, जहां अपना इलाज करवाने आए योगेन्द्र कुमार को हॉस्पिटल के लापरवाही की कीमत अपने गालब्लाडर से चुकानी पड़ी । इस घटना के बाद मानसिक पीड़ा से गुजर रहें योगेन्द्र ने इसकी शिकायत की लेकिन अब तक काही से कोई कारवाई नहीं की गयी हैं । वो अब प्रशासन, मीडिया और चिकित्सा अधिकारियों से मदद कि गुहार लगाते भटक रहे हैं । कुछ महीने पहले भी दिल्ली में अस्पतालों की लापरवाही का मामला सामने आया था जिसके बाद अस्पताल का लाइसेंसे रद्द किया गया था और फिर जम कर राजनीति हुई थी । महीने बादल गयें लेकिन हालात नहीं बदलें , अस्पतालों की लापरवाह हरकतें नहीं बदली, उनका रवैया नहीं बदला । ताजा मामला दिल्ली रोहिणी के जयपुर गोल्डेन अस्पताल की लापरवाही का हैं जहांइलाज करवाने गए योगेन्द्र का गाल ब्लडर गायब कर दिया गया । योगेन्द्र गत 27 अगस्त को महीने भर से लगातार चढ़ उतर रहे फीवर की वजह से जयपुर गोल्डेन मे भर्ती हुए थें । महीने भर मे 15 किलोग्राम तक वजन घट जाने की वजह से वो शारीरिक रूप से काफी कमजोर हो गए थे । भर्ती हुए.... इलाज शुरू हुआ....जांच का शीलशिला शुरू हुआ.... सीटी स्कैन, अल्ट्रा साउंड x, y, z सब..... सारे ऑर्गन की जांच कर ली गयी , तब तक सब ठीक था । और फिर अचानक डॉक्टर ने कहा कि आपका गाल ब्लडर नहीं हैं । योगेन्द्र तो हक्का बक्का रेह गए । उन्होने पूछा कि पहले के रिपोर्ट मे तो सारे ऑर्गन सही और शुचारु दिखाये गए लेकिन आज रिपोर्ट अचानक कैसे बदल गयी । ये कमी पहले क्यों नहीं पता चला, तो डॉक्टर और अस्पताल के अन्य विभाग इसका कोई संतोषजनक जवाब देने से बचते हुए इसे क्लर्सियल मिस्टेक बता दिया । जब योगेन्द्र ने शिकायत करने की बात कही तो नामी अस्पताल के घमंड...जवाब आया कि “जो करना हैं वो कर लो, तुम्हारे जैसे कम्प्लेन यहाँ रोज