क्या होता है डिजिटल रेप, आखिर कौन बन रहा है इसका शिकार ?
What is digital rape after all who is becoming a victim of it
DELHI (Bhumika Gupta): सामान्य रूप से किसी भी स्री की अनुमति के बगैर उसके साथ शारीरिक संबंध बनाने की कोशिश को रेप कहा है।
यदि कोई व्यक्ति किसी स्री या उसके किसी नजदीकी को शारीरिक नुकसान पहुंचाने का डर दिखाकर संबंध बनाने की कोशिश करता है तो इसे भी रेप की ही कहा जाएगा। आपको बता दें कि भारतीय दंड संहिता यानी आईपीसी की धारा 375 में रेप को परिभाषित किया गया है। रेप किसी भी महिला के जीवन की सबसे दर्दनाक और डरावनी घटना हैं।
इस जुर्म को कानून ने भी घिनौने श्रेणी में रखा है। कहा जाता है कि देश की राजधानी दिल्ली महिलाओं की दृष्टि से सबसे असुरक्षित शहर है। शाम को महिलाएं घर से बाहर निकलने से भी कतराती हैं।
अभी तक आपने रेप, गैंग रेप , मैरिटल रेप के बारे में ही सुना होगा , लेकिन अब डिजिटल रेप काफी चर्चा में है
आखिर क्या होता है ये डिजिटल रेप
अंग्रेजी में डिजिट का मतलब होता है अंक. चूंकि हाथ की उंगलियों, पैर की उंगलियों, अंगूठे को अंक या 'डिजिट' से संबोधित किया जाता है। इसलिए अगर कोई भी शख्स किसी लड़की से इन अंगो से छेड़छाड़ करता है तो उसे 'डिजिटल रेप' कहा जाता है.
कहाँ से हुई डिजिटल रेप की शुरुआत
आज से करीब 10 वर्ष पूर्व 2012 में निर्भया कांड के बाद रेप से जुड़े कानूनों की समीक्षा की गई।
भारत के पूर्व चीफ जस्टिस न्यायमूर्ति वर्मा की अध्यक्षता में एक समिति की बैठक गई थी, जिसने कानून को कड़ा करने को लेकर कई सुझाव दिए थे। इनमें से ज्यादातर कानून को अपना लिया गया था ।सन 2013 में लिंग योनि प्रवेश के साथ ही डिजिटल रेप को भी आपराधिक कानून संशोधन के जरिए आईपीसी में शामिल कर बलात्कार की श्रेणी में रखा गया।
इसे निर्भया एक्ट भी पुकारा जाता है। इस प्रकार महिलाओं को यौन उत्पीड़न, यौन अपराधों आदि से और अधिक सुरक्षित करने के लिए बलात्कार यानी रेप की परिभाषा का विस्तारकिया गया। नई परिभाषा इस प्रकार की दी गई ;
1. किसी भी महिला की मर्जी के बगैर उसके साथ ज़बरदस्ती करना रेप है।
2. उसके प्राइवेट पार्ट को पेनेट्रेशन (penetration) के उद्देश्य से नुकसान से पहुंचाना भी रेप है।
3. इसमें ओरल सेक्स को भी रेप की कैटेगरी में रखा गया।
आखिर क्यों है डिजिटल रेप चर्चा में
हाल ही में नोएडा पुलिस ने सोमवार को 81 साल का एक स्केच आर्टिस्ट को गिरफ्तार किया है। उसकी पहचान मौरिस राइडर के रूप में हुई। उस पर 17 साल की नाबालिग लड़की से डिजिटल रेप का आरोप लगा है। पीड़िता का कहना है कि पेंटर उसके साथ १० साल की उम्र से यौन उत्पीड़न किया था। उसके प्राइवेट पार्ट्स को छूता था। उसके साथ मार पीट करता था। लड़की की शिकायत के आधार पर पुलिस ने भारतीय दंड संहिता आईपीसी की धारा 376 (रेप), 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना), 506 (आपराधिक धमकी) और पॉक्सो एक्ट की धारा 5 और 6 के तहत मामला दर्ज किया है। नोएडा के इस मामले ने डिजिटल रेप पर एक बार फिर बहस छेड़ दी है। यह रेप का ऐसा तरीका है, जिसके शिकार नाबालिगों के बनने का सबसे ज्यादा खतरा है। और कई बार तो बच्ची भी यह नहीं समझ पाती है कि उसके साथ क्या हो रहा है।
कौन बनता है इसका शिकार ?
डिजिटल रेप से सबसे ज्यादा खतरा नाबालिग पर रहता है। ऐसा इसलिए हैं क्योंकि नाबालिग या छोटे बच्चों को इस तरह की हरकत को समझ पाना आसान नहीं है। इसलिए भारत में अभी भी डिजिटल रेप के मामले बेहद कम दर्ज होते हैं। जबकि आंकड़ों को देखा जाए तो अकेले 2020 में 2655 मामले 18 साल से कम उम्र की लड़कियों के साथ रेप के मामले दर्ज हुए थे। जो कि कुल मामलों का करीब 10 फीसदी केस है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के साल 2020 में डिजिटल रेप के देश में 18 साल से कम उम्र के बच्चों के साथ रेप के सबसे ज्यादा मामले राजस्थान, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और झारखंड में दर्ज किए गए है।
क्या होती है डिजिटल रेप के अपराधियों के लिए सज़ा
डिजिटल रेप के 70 फीसदी मामले किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा अंजाम दिए जाते हैं जो पीड़िता का करीबी होता है. डिजिटल रेप के काफी काम मामले दर्ज हुए है। ऐसा इसलिए होता है क्योकि काफी लोगो को डिजीटल रेप के बारे में पता ही नहीं हैं। कानून के अनुसार, अपराधी को कम से कम पांच साल जेल की सजा हो सकती है. कुछ मामलों में, यह सजा 10 साल तक चल सकती है या कुछ गंभीर मामलों में आजीवन कारावास भी हो सकती है.