ट्रेेड यूनियनों व कर्मचारी संगठनों ने उपायुक्त के मार्फत प्रधानमंत्री को ज्ञापन भेजा
किसान मजदूरों को स्थायी रूप से लूटने की व्यवस्था कर ली गई है, जनता के हित में बने तमाम कल्याणकारी कानून बदल दिए हैं, जनता में इन नीतियों के विरुद्ध भारी गुस्सा व असंतोष है, जनता की एकता तोड़ने के लिए धर्म और जाति के नाम पर साम्प्रदायिकता फैलाकर राजनीतिक ध्रुवीकरण पैदा करके दोबारा सत्ता हथियाना चाहते हैं , इसलिए हमें कारपोरेट व साम्प्रदायिक ताकतों की गठजोड़ सरकार को सत्ता से बाहर करना होगा।
भिवानी || देश की केन्द्रीय ट्रेड यूनियने सीटू, एटक, इन्टक, आल इन्डिया यू टी यू सी, कर्मचारी संगठन सर्व कर्मचारी संघ , कर्मचारी महासंघ, रिटायर्ड कर्मचारी संघ, संयुक्त किसान मोर्चा से अखिल भारतीय किसान सभा, आल इन्डिया किसान खेत मजदूर संगठन के आह्वान पर देशभर में भाजपा की केन्द्र सरकार व भाजपा की राज्य सरकारों की जन विरोधी नीतियों व उनकी साम्प्रदायिक नीतियों के विरोध में जिला हैडक्वाटर पर दो दिन से जारी पड़ाव आज सम्पन हुआ, केन्द्रीय ट्रेड यूनियनों व कर्मचारी संगठनों ने उपायुक्त के मार्फत प्रधानमंत्री को ज्ञापन भेजा। आज के कार्यक्रम की संयुक्त अध्यक्षता उपरोक्त संगठनों के कृष्ण बड़सी, फूल ंिसह इन्दौरा, फूल सिंह, सुदेश रिवासा, रामफल देशवाल, राजेश जांगड़ा, सहदेव रंगा ने संयुक्त रूप से की। मंच संचालन सीटू जिला सचिव अनिल कुमार ने किया। इस मौके पर मणिपुर व मेवात में हुई साम्प्रदायिक हिंसा के खिलाफ प्रस्ताव पास किया।
महा पड़ाव को सम्बोधित करते हुए विभिन्न संगठनों के पदाधिकारियों ने केन्द्र व राज्य सरकारों की नीतियों पर हमला बोलते हुए कहा कि देश में कारपोरेट परस्त नीतियां लागू करके केन्द्र सरकार ने भंयकर महंगाई, बेरोजगारी, गरीबी, बदहाली और आमदनी में भयंकर गैर बराबरी बढ़ा दी है, उसने सभी सरकारी महकमों, सार्वजनिक क्षेत्र का नीजिकरण करके तथा देश के तमाम संसाधनों को कारपोरेट के हवाले करके जनता को बेरोजगारी व गरीबी के दलदल में धकेल दिया है। किसान मजदूरों को स्थायी रूप से लूटने की व्यवस्था कर ली गई है, जनता के हित में बने तमाम कल्याणकारी कानून बदल दिए हैं, जनता में इन नीतियों के विरुद्ध भारी गुस्सा व असंतोष है, जनता की एकता तोड़ने के लिए धर्म और जाति के नाम पर साम्प्रदायिकता फैलाकर राजनीतिक ध्रुवीकरण पैदा करके दोबारा सत्ता हथियाना चाहते हैं, इसलिए हमें कारपोरेट व साम्प्रदायिक ताकतों की गठजोड़ सरकार को सत्ता से बाहर करना होगा।
संयुक्त आंदोलन ने लिपिकों व आशा वर्करों की हड़ताल का समर्थन किया तथा उनकी मांगे लागू करने की मांग की तथा संयुक्त आन्दोलन की मांगे न्यूनतम मजदूरी 26000 रुपये प्रति माह करने , पुरानी पैंशन की बहाली , परियोजना कर्मीयों, ग्रामीण सफाई कर्मचारी, चौकीदार, कच्चे कर्मचारियों को पक्का करने , महकमों में खाली पद भरने, निर्माण मजदूरों के हित के लिये बने श्रम कल्याण बोर्ड को लागू करना, बेमानी शर्तो पर रोक लगाने, मनरेेगा में 200 दिन काम व 600 रूपये दिहाड़ी लागू करने, सार्वजनिक वितरण प्रणाली बहाल करने, किसानों को लाभकारी न्यूनतम सर्मथन मूल्य की संवैधानिक गांरटी लागू करने के साथ 15 सूत्री मांगे लागू करने की मागों का ज्ञापन उपायुक्त के मार्फत प्रधानमंत्री को भिजवाया।