एक ऐसा रेलवे स्टेशन है जहां भूखे पेट यात्रियों को निशुल्क भरपेट खाना खिलाया जाता है

शुरुआत में दो किलोग्राम आटे की रोटियां तैयार कर वितरित की जाती थी और अब यह मात्रा 70 किलोग्राम तक पहुंच चुकी है। यह मुहिम लाला फकीरचंद ने अकेले शुरू की थी और 38 साल तक इसे जारी रखा। 1998 में लाला फकीरचंद का देहांत होने के बाद शहर के कई लोग इसे निरंतर जारी रखे हुए हैं।

चरखी दादरी। चरखी दादरी शहर भूखे व बेसहारा लोगों की मदद के लिए दूसरे प्रदेशों में भी चर्चा का विषय बना है। क्योंकि चरखी दादरी ही प्रदेश का एक मात्र ऐसा रेलवे स्टेशन है जहां पिछले 65 वर्षों से भूखे पेट यात्रियों को निशुल्क भरपेट खाना खिलाया जाता है। स्टेशन पर रहने वाले बेसहारा लोगों व गरीब लोगों को भी कभी भूखे पेट सोता नहीं देखा गया। रामादल सेवा समिति का साझा चूल्हा पिछले 65 साल से लगातार जल रहा है। साढ़े छ: दशक से अधिक की समयावधि बीतने पर भी यह चूल्हा एक दिन भी बंद नहीं हुआ है।

मैं अकेला ही चला था-जानिब -ए- मंजिल, मगर लोग साथ आते गए और कारवां बनता गया। मानो शायर की ये पंक्तियां स्वर्गीय लाला फकीरचंद के लिए ही बनी हो। 1960 में लाला फकीरचंद ने रेलवे स्टेशन पर प्रतिदिन निशुल्क खाना वितरण की जो मुहिम शुरू की थी, उसे 65 साल बाद भी रामा सेवा दल जारी रखे हुए है। दोनों समय अब भी रेलवे स्टेशन पर यात्रियों और भिखारियों को खाना खिलाया जाता है। दरअसल, लाला फकीरचंद ने 1960 में दादरी रेलवे स्टेशन पर निशुल्क खाना वितरण सेवा शुरू की थी। इसके साथ ही दादरी देश का पहला ऐसा स्टेशन बना जहां निशुल्क खाना की व्यवस्था हो। लाल फकीरचंद का सपना था कि शहर में कोई भूखा ने सोए, जिसे अब तक जन सहयोग से साकार किया जा रहा है।

लालाजी का सपना पूरा करने की मुहिम जारी, मिला है दिल को सुकून

रामा सेवा दल प्रधान विनोद गोयल ने बताया कि संस्था ने यात्रियों के भोजन बनाने के लिए पांच कर्मचारी लगाए हुए हैं। इन कर्मचारियों के साथ सेवा दल के सदस्य सुबह चार बजे से खाना तैयार करने में जुट जाते है। सुबह साढ़े दस बजे से डेढ़ बजे तक गाड़ी में बैठे व आने वाले यात्रियों को निशुल्क रोटी व सब्जी वितरित करते है। उन्होंने बताया कि सुबह और सायं दोनों समय उनका दल 70 किलो आटे की रोटियां बनाकर लोगों को खिलाता है। लाला जी की मुहिम जारी रखते हुए भूखों को भोजन देकर दिल को सुकून मिला है।

रिटायरमेंट के बाद कर्मचारी जुड़े मुहिम से

रामा सेवा दल के सदस्य रणसिंह फोगाट ने बताया कि करीब 10 वर्ष पहले परिवहन विभाग से लेखाकार पद से रिटायर होने के बाद से सेवा दल की भावना को देखते हुए वो भी सेवा में लग गए। ओमप्रकाश जांगड़ा ने बताया कि निस्वार्थ भावना से सुबह सायं रेलवे स्टेशन पर यात्रियों को खाना खिलाने में लगे रहते हैं। इस नेक काम में आसपास के लोग भी सहयोग करते हैं।

रामा सेवा समित के जज्बे का सलाम 

रेलवे पर ट्रेन का इंतजार कर रहे राकेश कुमार व सत्यवान ने बताया कि समिति द्वारा सुबह-शाम के वक्त नि:शुल्क खाना व पीने के पानी की मुहिम काफी वर्षों से लगातार देख रहे हैं। समिति के इस जज्बे का स्लाम करते हुए कहा कि गरीब और रेल यात्रियों खाना देना समाज में सबसे बड़ा धर्म है।