झुग्गियों में रहने वाले बोले, आजादी दिवस क्या होता है भाई?
विभिन्न क्षेत्रों में मजदूरी कर अपना व परिवार का पेट पालने वालों से आजादी दिवस के बारे में पूछा गया... तो उनका कहना था कि आजादी दिवस क्या होता है भाई? हमें दो ऐसी कोई योजना नहीं पता, सिर्फ दो जून की रोटी का जुगाड़ करना जरूरी होता है। दादरी जिले में झुग्गियों में रहने वाले सुबह ही मजदूरी के लिए निकल जाते हैं, जिन्हें मजदूरी कर 300-400 रुपये प्रतिदिन मिलते हैं।
चरखी दादरी || पूरा देश स्वतंत्रता दिवस की तैयारियों में लगा हुआ है और आजादी दिवस को धूमधाम से मनाने के लिए तिरंगा यात्राएं निकाली जा रही हैं। वहीं झुग्गियों में रहने वाले ऐसे परिवार भी हैं जिन्हें आजादी दिवस की बजाए दो जून की रोटी का जुगाड़ करने की चिंता रहती है। आजादी दिवस को लेकर पूछे सवाल पर बोले, क्या होता है भाई ये? हमें कोई त्योहार या दिवस की कोई जानकारी नहीं है। बस दो टेम की रोटियों के जुगाड़ में सुबह घर से निकल जाते हैं।
देशभर में 15 अगस्त को को स्वतंत्रता दिवस धूमधाम से मनाया जाएगा। यहां तक कि सरकारी विभाग सहित अनेक संस्थाओं द्वारा आजादी दिवस पर कार्यक्रम आयोजित किए जाने हैं, लेकिन आज भी मजदूर, श्रमिक व ग्रामीणों को नहीं मालूम कि आजादी दिवस क्या होता है। विभिन्न क्षेत्रों में मजदूरी कर अपना व परिवार का पेट पालने वालों से आजादी दिवस के बारे में पूछा गया... तो उनका कहना था कि आजादी दिवस क्या होता है भाई? हमें दो ऐसी कोई योजना नहीं पता, सिर्फ दो जून की रोटी का जुगाड़ करना जरूरी होता है। दादरी जिले में झुग्गियों में रहने वाले सुबह ही मजदूरी के लिए निकल जाते हैं, जिन्हें मजदूरी कर 300-400 रुपये प्रतिदिन मिलते हैं। इन्हें यह नहीं पता कि आजादी दिवस क्या होता है। मजदूरी करने वालों की बातों से तो यही लगता है कि जागरूकता के अभाव मंे सरकार की योजनाएं दम तोड़ रही हैं।
झुग्गियों में रहने वाली कुसुम, अनिता, राजो देवी व सुभाष ने कहा, भाई ये आजादी दिवस क्या होता है...। हम मजदूरी कर 2 सौ 4 सौ रूपए कमा लेते हैं ताकि अपने परिवार को दो जून की रोटी खिला सकें। उनके लिए तो वह त्यौहार होता है जिस दिन कोई व्यक्ति आकर उनको कपड़े व मिठाइयां देते हैं। आजादी दिवस के बारे में पूछने पर बताया कि म्हारा तो रोज ऐसा दिवस है। खाने के लाले पड़े हैं। हमें ही दो टैम की रोटी का जुगाड़ करना पड़ै है।