'उड़नपरी दादी' की रफ्तार देख छूट जाएंगे छक्के

06 वर्षीय रामबाई उस समय सुर्खियों में आई थी जब उन्होंने पिछले वर्ष बेंगलुरु में आयोजित नेशनल प्रतियोगिता के दौरान 100 मीटर की फर्राटा रेस 45.40 सेकंड में पूरी कर नया रिकॉर्ड बनाया था। पहले यह रिकॉर्ड मान कौर के नाम था, जिन्होंने 74 सेकंड में रेस पूरी की थी।

चरखी दादरी || ढलती उम्र में ‘उड़नपरी दादी’ के नाम से मशहूर 106 वर्षीय रामबाई की रफ्तार देख युवाओं के भी छक्के छूट जाएंगे। रामबाई ने अपने सपने काे पूरा करते हुए विदेशी धरती पर चार मेडलों पर कब्जा करते हुए वर्ल्ड रिकार्ड बना डाला। उम्र का शतक पूरा कर चुकी रामबाई ने ढलती उम्र में भी खेलने का जज्बा इस कदर हावी है कि वह लगातार देश के लिए मेडल जीतना चाहती हैं। रामबाई के मन में सरकार की ओर से आर्थिक सहायता नहीं मिलने की टीस जरूर है बावजूद उनका मेडल जीतने का जज्बा जारी रहेगा। बता दें कि चरखी दादरी के गांव कादमा निवासी 106 वर्षीय रामबाई उस समय सुर्खियों में आई थी जब उन्होंने पिछले वर्ष बेंगलुरु में आयोजित नेशनल प्रतियोगिता के दौरान 100 मीटर की फर्राटा रेस 45.40 सेकंड में पूरी कर नया रिकॉर्ड बनाया था। पहले यह रिकॉर्ड मान कौर के नाम था, जिन्होंने 74 सेकंड में रेस पूरी की थी। नेशनल रिकार्ड बनाने के बाद से रामबाई ने पीछे मुड़कर नहीं देखा तो विदेशी धरती पर खेलकर देश के लिए मेडल जीतने का मन में सपना ले पासपोर्ट भी बनवाया। उनका सपना मलेशिया में 16 व 17 सितंबर को हुई वर्ल्ड मास्टर चैंपियनशीप में पूरा हो गया।

106 वर्षीय बुजुर्ग दादी रामबाई ने रनिंग इवेंट में हिस्सा लेते हुए 100 मीटर दौड़, 200 मीटर दौड़, गोला फेंक और डिस्कस थ्रो में गोल्ड मेडल जीता है। रामबाई ने 200 मीटर की दौड़ में वल्ड रिकार्ड बनाकर नये आयाम स्थापित किए हैं। गांव में पहुंचने पर रामबाई को सम्मानित करते हुए उज्ज्वल भविष्य की कामना की। रामबाई की दोहती शर्मिला सांगवान ने बताया कि उनकी नानी के जोश को देखते हुए गांव के खेतों में कच्चे रास्तों पर प्रेक्टिस करवाई। यहीं कारण है कि परिवार की चार पीढिय़ों ने भी पिछले वर्ष कई मेडल जीते थे। देशी खाने व कच्चे रास्तों में दौड़ लगाकर तैयारी करवाने का परिणाम है कि विदेशी धरती पर चार मेडलों पर कब्जा किया है। अगर सरकार उनकी मदद करें तो नानी रामबाई विदेशी धरती पर देश के लिए मेडल जीतने का सिलसिला जारी रख सकती हैं।