चोट से मुकाबला किया, अब मिलेगा राजीव गांधी खेल रत्न...
चरखी दादरी : ‘कांटों मे जो पलता है, शोलों मे जो खिलता है। वह फूल ही गुलशन की तारीख बदलता है।’ ये पंक्तियां चरखी दादरी के गांव बलाली निवासी अंतर्राष्ट्रीय महिला पहलवान विनेश फौगाट की मेहनत पर एकदम फीट बैठती हैं। जिन्होंने रियो ओलंपिक के दौरान लगी चोट का मुकाबला किया और टोक्यो ओलंपिक की टिकट हांसिल किया और अब देश का शीर्ष खेल रत्न से नवाजी जाएंगी। विनेश को राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार अपनी कड़ी मेहनत के बूते ही मिलेगा।
चरखी दादरी (प्रदीप साहू) || चरखी दादरी जिले के छोटे से गांव बलाली निवासी दंगल गर्ल गीता-बबीता की चचेरी बहन विनेश को 53 किलोग्राम वर्ग में ओलंपिक का टिकट मिल चुका है। फिलहाल विनेश अपनी ससुराल खरखौदा में घर पर ही प्रेक्टिस कर रही हैं। रियो ओलंपिक में चोट लगने के बाद कड़ी मेहनत के बूते विनेश फौगाट ने मैट पर वापिसी करते हुए अनेक अंतर्राष्ट्रीय स्पर्धाओं में मेडल बटोरे हैं।
आज उसी मेहनत का परिणाम है कि विनेश को राजीव गांधी खेल रत्न से नवाजा जाएगा। विनेश फोगाट की इस उपलब्धि पर जहां चरखी दादरी ही नहीं बल्कि देशभर के खेल प्रेमियों के लिए बड़ी उपलब्धि है। परिजनों ने विनेश की इस उपलब्धि पर उनकी कड़ी मेहनत का फल बताया है। विनेश की ताऊ द्रोणाचार्य अवार्डी महाबीर पहलवान का कहना है कि विनेश को राजीव गांधी खेल रत्न मिलना उनके लिए सबसे बेहद खुशी है।
यह परिवार को ही नहीं बल्कि देशभर के लिए गर्व है। विनेश ने चोट से उभरते हुए मैट पर मेहनत की तो वे आज इस मुकाम पर पहुंची हैं। उन्हें आश है कि वह टोक्यो ओलंपिक में गोल्ड जीतकर देश का नाम रोशन करें। वहीं विनेश की मां प्रेमलता कहा कि विनेश ने कड़ी मेहनत करते हुए रियो ओलंपिक में लगी चोट से उभरी और ओलंपिक में क्वालीफाई किया। इसी बदौलत ही उसे देश का शीर्ष खेल पुरस्कार मिलने जा रहा है। उसे इस बात का फक्र है कि आज बेटी को देश का सबसे बड़ा खेल पुरस्कार मिलेगा।