किसानों को लेकर बनाए गए कानून पर पूरे देश में सियासत जारी...
किसान हितेषी है किसानों के लिए बनाया गया कानून।इससे एक बहुत बड़ा परिवर्तन आएगा और किसान को बड़ा भारी लाभ होने वाला है।लेकिन कुछ स्वार्थी लोग जिनके स्वार्थों पर आंच आती है उनलोगों ने जानबूझकर इसका विरोध करना शुरू कर दिया।ये सारा का सारा पूरे तरीके से एक षड्यंत्र है कुछ हताश लोग जो इक्कठे होकर किसानों को बरगला कर अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकना चाह रहे है वास्तविकता में किसान का कोई नुकसान नही ये किसानों के हित में है।ये कहना है कैबिनेट मंत्री कवँरपाल गुर्जर का ।साथ ही उन्होंने कहा कि जो लोग किसानों की लड़ाई लड़ रहे है आंदोलन कर रहे वो लोग ये वास्तविकता में किसानों की नही बिचौलिए की लड़ाई लड़ रहे है मेरा मानना है कि बार्गेनिंग पॉवर किसान के पास होनी चाहिए ये कह रहे है कि आढ़ती के पास होनी चाहिए।
यमुनानगर (सुमित ओबेरॉय) || किसानों को लेकर बनाए गए कानून पर पूरे देश में सियासत जारी है। जहां कुछ राजनीतिक दल इसका विरोध कर रहे हैं तो वही कुछ नही उसका समर्थन भी कर रहे हैं।इस बारे में कैबिनेट मंत्री कवँरपाल गुर्जर ने कहा कि मेरा मानना है किए बिल्कुल किसान के हित में है। और इनके आने से एक बहुत बड़ा परिवर्तन आएगा और किसान को इससे बड़ा भारी लाभ होने वाला है ।लेकिन कुछ स्वार्थी लोग जिनके स्वार्थों पर आंच आती है उन लोगों ने जानबूझकर इसका विरोध करना शुरू कर दिया। जैसे पहले एक बात फैलाई की एमएसपी खत्म हो रही है। मैं दावे के साथ कह सकता हूं मंत्री ना होकर एक किसान होकर किसान के तौर पर एक बात कहता हूं ।जो एमएसपी है न्यूनतम समर्थन मूल्य वह किसी सरकार की कृपा नहीं है किसी किसान के ऊपर ।कोई भी सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य को समाप्त नहीं कर सकती ।ना यह सरकार समाप्त कर सकती है ना पिछली सरकार समाप्त कर सकती थी। और आने वाले 50 साल तक कि मैं गारंटी देता हूं आने वाले 50 साल में कोई भी सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य को समाप्त नहीं कर सकती ।मैं किसानों को एक बात कहना चाहता हूं 1 मिनट के लिए सोच कर देखो 140 करोड का देश है अगर सरकार खरीद नहीं करेगी तो सारे सिस्टम को ठीक कैसे रखेगी ,रख ही नहीं सकती ।लेकिन एक बात और बताना चाहता हूं न्यूनतम समर्थन मूल्य जो है वह कोई बढ़िया बात नहीं है। न्यूनतम समर्थन मूल्य लास्ट की चीज है। सरकार ने किसान से कहा अगर तेरी चीज कहीं नहीं दिखती तो मैं उसका ग्राहक बैठा हूं न्यूनतम समर्थन मूल्य पर न्यूनतम का मतलब लास्ट है ।क्या मैं लास्ट पर रुक जाऊं जरूरत है कि आप अधिकतम लेकर आओ सरकार ने आपको सेव कर दिया कि लास्ट में आप यहां आ जाना। इससे पहले प्रयास करो उड़ान भरो जहां तक जा सकते हो वहां तक जाओ । पिछले 20 साल में न्यूनतम समर्थन मूल्य ही अधिकतम समर्थन गया।
कैबिनेट मंत्री कंवरपाल गुर्जर ने और विस्तार से इस बिल के समर्थन के बारे में बात करते हुए कहा कि सबने यही मान लिया कि यह लास्ट है। अब सरकार एक विकल्प दे रही है कि यह ठीक नहीं है आपके लिए यह तो न्यूनतम है आप इससे आगे बढ़ो इसके लिए ओपन मार्केट दी। कि आप अच्छी चीज पैदा करो उस मार्केट में ट्राई करो और आप बढ़िया चीज पैदा करो आप उसके दाम लो। आप पहले वहां ट्राई करो सागर सरकार का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2000 है अगर आप की चीज बढ़िया है और वह ₹2200 की बिकती है तो बेच दो ,अगर ₹25 00 की बिकती है तो बेच दो ,3000 की बिकती है बेच दो ।सरकार ने इसलिए रिस्क लिया जो मार्केट फीस थी सरकार ने कह दिया कि अगर आप बाहर भेज दोगे तो हम नहीं लेंगे। सीधा सीधा सा ₹70 का फायदा तो वही हो गया किसान को । आपका उत्साह बढ़ेगा और आप आहिस्ता आहिस्ता मार्केट डेवेलोप होगी ।आप की चीज ज्यादा रेट पर भी जाएगी ।लेकिन कुछ लोग अपने स्वार्थ के लिए ऐसा कर रहे हैं अब जो दूसरी बात है यह कहते हैं की आढ़ती और किसान का चोली दामन का साथ है ।यह बात बिल्कुल सही है मैं उनके इस प्यार के खिलाफ नहीं हूं ।लेकिन मैं बारगेनिंग पावर किसान को देना चाहता हूं ।और जो किसान आंदोलन चला रहे हैं वह बारगेनिंग पावर आढ़ती के हाथ में देना चाहते हैं। कैबिनेट मंत्री कवँरपाल गुर्जर ने कहा कि जो लोग किसानों के लिए आंदोलन कर रहे हैं वह लोग बारगेनिंग पावर आढ़ती के हाथ में देना चाहते हैं जै।से मान लीजिए मैंने एक आदमी ही गेहूं खरीदी और जैसा आज तक चलता रहा है मैं यह नहीं कह रहा कि पिछली सरकारों ने जानबूझकर ऐसा कुछ किया हर टाइम में सुधार आते हैं कमियां भी होती है। किसान की पेमेंट मैंने आढ़ती को दी। मान लीजिए उसने ₹20000 की गेंहू डाली और 20000 की पेमेंट पहले किसान को दे दिया ।और वह आढ़ती के पास लेने गया। उसने उसका सारा हिसाब किया अपने ब्याज के पैसे काट कर आपको पैसे का पर्चा पकड़ा दिया। बारगेनिंग पावर आढ़ती के पास है।अब यहीं ₹20000 में किसान को देने लग रहा हूं आप किसान की जेब में ₹20000 आ गए। किसान अपनी जेब में पैसे लेकर आढ़ती के पास गया की मैंने आसे यह चीज ली थी और हिसाब किया। पैसे किसान की जेब में तो वह आढ़ती से बात करेगा। बारगेनिंग पावर जब किसान की जेब में पैसे होंगे तो उसके पास होगी। यह लोग जो आंदोलन कर रहे हैं जो लड़ाई लड़ रहे हैं जो कह रहे हैं कि हम किसान के हितैषी हैं वास्तविकता में हो किसान हितैषी नहीं है। वास्तविकता में बिचौलिए के हितैषी है। बिचौलिए की लड़ाई लड़ रहे हैं ना कि किसान की ।लेकिन वह लोग कह रहे हैं कि यह बार्गेनिंग पॉवर आढ़ती के पास रहनी चाहिए। किसान के पास नही किसान तो अनजान है किसान को कुछ भी पता नहीं है और तरह तरह की बातें कर रहे हैं।कहते हैं कि एमएसपी बाहर भी लागू करो। जब एमएसपी पर सरकार खरीद रही है तो बाहर किस बात की जरूरत पड़ रही है। यह सारा का सारा पूरी तरीके से एक षड्यंत्र है कुछ हताश लोग हैं जो इकट्ठे होकर वह किसान को बरगला कर अपनी राजनीतिक रोटियां सेकना चाह रहे हैं ।वास्तिविकता में किसान का कोई नुकसान नही है।ये बिल किसान का हितेषी है।