नोएडा के ट्विन टॉवर को गिराने का असल कारण जानिए।
ट्विन टावरों को ढ़हाए जाने में महज आज का ही दिन बचा है. ट्विन टावर को 28 अगस्त यानी कल के तकरीबन दोपहर के ढाई बजे गिराया जाना है. इस ट्विन टावर को गिराने में ही 17 करोड़ रुपय खर्च किए जा रहें हैं।
Delhi (Rakesh Kumar) || नोएडा के सेक्टर-93 में स्थित सुपरटेक के ट्विन टावरों को गिराए जाने की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है. नोएडा के इस विशालकाय इमारत को गिराने के लिए लगभग 3,700 किलो विस्फोटक लगाया गया है. वहीं आज के दिन यहां लोगों की भारी मात्रा में भीड़ देखने को मिल रही है सभी यहां आखिरी बार तस्विर लेने के लिए आ रहें हैं। वहीं कुछ लोगों का कहना है कि वह इस इलाके में काम करने आते हैं और अब रोजाना इस ट्विन टावर को देखने की आदत सी हो गई है। वहीं दूसरी तरफ यहां आसपास के रहने वाले लोगों के फ्लौट को भी खाली करा कर उन्हे कहीं शिफ्ट किया गया है।
और इन सब के बिच ज्यादातर लोगों के मन में यह सवाल उठ रहै है कि आखिर इतनी बड़ी इमारत को सरकार 13 करोड़ सरकारी खजाने से खर्च करके क्यों गिरा रही है। तो आइए जानत हैं इसके पिछे का कारण।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने जांच में पाया था कि सुपरटेक के इन टावरों को बनाते समय निर्माण शर्तों का जमकर उल्लंघन किया गया. इस ट्विन टावर का निर्माण 2009 में शुरू हुआ था। और इन दोनों टावर में कुल 950 से ज्यादा फ्लैट्स बनाए जाने थे. जिसके बाद कई खरीददारों ने यह आरोप लगाया कि बिल्डिंग के प्लान में बहुत सारे बदलाव किए गये और साल 2012 में वे इलाहाबाद हाईकोर्ट चले गए थे.
यहां 633 लोगों ने फ्लैट बुक कराए थे. इनमें 248 लोगों ने रिफंड ले लिया और करीबन 133 खरीददारों को दूसरे प्रोजेक्ट में मकान दिए गए. लेकिन तमाम खरीददारों में 252 ऐसे लोग थे, जिन्होंने न तो रिफंड लिया है और न ही उन्हें किसी दूसरे प्रोजेक्ट में शिफ्ट किया गया, मतलब उनका निवेश इस प्रोजेक्ट में बना रहा.
जिसके बाद साल 2014 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ट्विन टावर को अवैध घोषित करते हुए उन्हें गिराने का आदेश दे दिया था. वहीं हाईकोर्ट ने नोएडा प्राधिकरण को भी जोरदार फटकार लगाया था. मामला सुप्रीम कोर्ट में चला गया. पहले तो सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी लेकिन बाद में सुप्रीम कोर्ट ने भी इसे गिराने का आदेश दिया जिसके बाद कल इसे गिराया जाना है।