इतिहास के पन्नों में दर्ज है कादमा गोलीकांड, शहीद किसानों को दी श्रद्धांजलि

ये है कादमा कांड 23 अगस्त 1995 को कादमा कांड हुआ। इसमें पांच किसानों की मौत हुई थी जबकि चार किसान घायल हुए थे। उस दौरान पांच मुकदमे भी दर्ज किए गए। किसान बिजली संकट को लेकर उस दौरान आंदोलन कर रहे थे और इसे लेकर उन्हें जेल भी जाना पड़ा था।

चरखी दादरी || बिजली संकट को लेकर 28 साल पहले कादमा में हुए आंदोलन के दौरान मारे गए पांच किसानों को क्षेत्र के गणमान्य लोगों ने श्रद्धांजलि दी। कादमा स्थित शहीद स्मारक पर आयोजित कार्यक्रम में विभिन्न गांवों के लोगों समेत राजनेता भी शामिल हुए। वहीं, जन संगठनों के पदाधिकारियों और आंदोलन में पुलिस की तरफ से की गई फायरिंग में मारे गए किसानों के परिजनों ने भाग लिया और क्षेत्र की विभिन्न समस्याओं पर मंथन किया। सर्वप्रथम, मृतक किसानों को श्रद्धासुमन अर्पित किए गए। कादमा शहीद स्मारक स्थल पर किसान संघर्ष समिति हरियाणा अध्यक्ष रविन्द्र सांगवान की अध्यक्षता में श्रद्धांजलि सभा हुई। 

बता दें कि वर्ष 1995 में बाढड़ा हलके के कादमा क्षेत्र के किसान बिजली समस्या को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे। जले हुए ट्रांसफार्मरों को ना बदलने और बकाया बिजली के बिलों को लेकर क्षेत्र के किसानों व तत्कालीन कांग्रेस सरकार में विवाद बढ़ गया था। उसी के चलते 23 अगस्त 1995 को किसानों और पुलिस में सीधा टकराव हुआ था। उस दौरान पुलिस द्वारा फायरिंग करने पर गोली लगने से किसान रामप्रसाद कादमा, हवा सिंह धनासरी, दीपचंद उण, धर्मवीर झोझू कलां व जयप्रकाश दगड़ौली की मौत हो गई थी, जबकि इस खूनी संघर्ष में कई किसान व पुलिसकर्मी घायल भी हुए थे। गोलीकांड के बाद यहां पूर्व प्रधानमंत्री चरण सिंह, उप प्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल, पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी बंसीलाल, चौधरी अजीत सिंह, किसान नेता महेंद्र सिंह टिकैत और घासीराम नैन आदि यहां पहुंचे थे। बाद में गांव कादमा में गोली कांड का शिकार हुए किसानों की याद में स्मारक स्थल का निर्माण करवाया गया, जहां प्रति वर्ष 23 अगस्त को कार्यक्रम का आयोजन कर गोली कांड के शहीद किसानों को श्रद्धासुमन अर्पित किए जाते हैं।