Jhajjar (Yogender Saini) || झज्जर के गांव मारोत के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय की इमारत जर्जर अवस्था में पहुंच चुकी है। इमारत एकदम खंडहर हालात में है जो कभी भी बड़े हादसे का कारण बन सकती है।
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स्कूल में आने वाले बच्चे कमरों से बाहर पेड़ों के नीचे बैठकर पढ़ने को मजबूर हैं। जिस कारण उन्हें खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। स्कूल प्रबंधन ने कई बार उच्च अधिकारियों को इस संदर्भ में शिकायत की है लेकिन आज तक कोई सुनवाई अमल में नहीं लाई गई है।
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यह नजारा है झज्जर के मारोत गांव के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय की इमारत का। जो एकदम खंडहर अवस्था में है। इमारत में जगह-जगह बड़ी-बड़ी दरारें आ चुकी हैं। छत टूटने की कगार पर है। यानी यह कहे कि बिल्डिंग कभी भी गिर सकती है तो अतिशयोक्ति नहीं होगी।
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इसी कारण स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे पेड़ों के नीचे बैठकर शिक्षा ग्रहण करने को मजबूर हैं। इस चिलचिलाती गर्मी के अलावा भीषण ठंड व भारी बारिश में भी बच्चे पेड़ों के नीचे बैठकर पढ़ते हैं। इससे उन्हें परेशानी तो होती ही है साथ ही उनकी शिक्षा का नुकसान भी होता है। क्योंकि पेड़ों के नीचे बैठकर पढ़ने से उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
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बच्चों का कहना है कि स्कूल की इमारत एकदम खराब हालत में है जो कभी भी गिर सकती है इसलिए उन्हें मजबूरन इमारत से बाहर बैठकर पढ़ना पड़ता है। साइंस लैब व कंप्यूटर लैब भी जर्जर अवस्था में है। ऐसे में वह शिक्षा कैसे ग्रहण करेंगे। उन्होंने कहा कि बच्चों का भविष्य अधर में लटक गया है।
वही स्कूल के शिक्षकों का कहना है कि बिल्डिंग के हालात तो एकदम खराब हो चुके हैं इसलिए उन्हें बच्चों को पेड़ के नीचे या बरामदे में बैठकर पढ़ाना पड़ता है। जिससे बच्चे सही प्रकार से शिक्षा प्राप्त नहीं कर सकते। गर्मी बरसात में सर्दी के मौसम में उन्हें भारी दिखते उठानी पड़ती हैं। साथ ही एक ही कमरे में 2- 2 कक्षाएं लगानी पड़ती है जिससे किसी भी कक्षा के छात्र को कुछ समझ में नहीं आता। इसलिए उन्होंने प्रशासन को कई बार लिखा है और अपनी समस्या से अवगत कराया है लेकिन आज तक उनकी समस्या का कोई समाधान नहीं निकल पाया है।
अब देखने वाली बात यह है कि एक और सरकार बच्चों को शिक्षा के प्रति प्रोत्साहित करने की बात करती है और टेबलेट जैसे उपकरण पढ़ाई के लिए बांटने का काम करती है वहीं दूसरी ओर जब इमारत ही जर्जर अवस्था में होगी तो बच्चों की पढ़ाई कैसे होगी यह सोचने वाली बात है। सरकार को इस ओर गंभीरता से ध्यान देने की आवश्यकता है।