गुरुग्राम में पॉल्यूशन का असर आंखों पर...
आंखों में जलन सीने में चुभन ये तूफान से क्यों है। गुरुग्राम का हर शख्श परेशान सा क्यों है। जी है ये गीत गुरुग्राम में रहने वालों पर पूरी तरह सटीक बैठ रहा है। इसका कारण है गुरुग्राम शहर की लगातार खराब होती जा रही आबोहवा। पल्यूशन का लेबल लगातार बढ़ता जा रहा है,जिसका असर शहर में रहने वाले लोगो की आंखों पर सबसे ज्यादा पड़ रहा है। इसके अलावा बच्चो एवम बुजुर्गों को सांस की परेशानी होने लगी है। पिछले 15 दिनों की बात करे तो हॉस्पिटलों में आंखों में जलन व सांस लेने में परेशानी के मामले बड़े है।
गुरुग्राम (संजय खन्ना) || गुरुग्राम में वायु प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है। कई माह के बाद शुक्रवार को वायु प्रदूषण सबसे ज्यादा दर्ज किया गया। 24 मार्च लाकडाउन के बाद शुक्रवार सबसे ज्यादा प्रदूषित दिन रहा। लाकडाउन से पहले शहर में वायु प्रदूषण का स्तर ज्यादा दर्ज किया जाता रहा है। शुक्रवार को 276 पीएम 2.5 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर दर्ज किया गया। पिछले दिनों में अभी तक 200 व 230 पीएम 2.5 के करीब दर्ज किया जाता रहा है लेकिन शुक्रवार को एकाएक प्रदूषण बढ़ गया। बढ़ते वायु प्रदूषण के कारणों की जानकारी किसी को नहीं है लेकिन जिस तरह से शहर में हर रोज प्रदूषण एक दम से बढ़ा रहा है उससे माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में प्रदूषण का स्तर सामान्य से ज्यादा रहेगा।वहीं इस पूरे मामले में हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी कुलदीप की माने तो ईपीसीए के आदेशों का पालन किया जाएगा और अगर इन आदेशों की अवहेलना कोई करेगा तो उस पर उपरोक्त कार्रवाई की जाएगी। प्रदूषण नियंत्रण करने के लिए जिले के 22 विभागों की जिम्मेवारी सुनिसचित की गई है |
शहर के बीच विकास सदन के पास 249 पीएम 2.5, ग्वाल पहाड़ी के पास 239 पीएम 2.5, सेक्टर 51 में 276 पीएम 2.5 व फरीदाबाद -गुरुग्राम रोड स्थित टेरी ग्राम के पास 221 पीएम 2.5 दर्ज किया गया। वही शहर के निवासियों की माने तो प्रदूषण को नियत्रित करने के लिए अधिक से अधिक पेड़ लगाने होंगे,जिससे पर्यावरण शुद्ध हो सके और शहर में हरियाली दिखाई दे। साइबर सिटी में लगातार बढ़ता प्रदूषण कोरोना व दमा मरीजों के लिए काफी नुकसानदायक है। 50 पीएम 2.5 से ज्यादा वायु प्रदूषण स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है। वरिष्ठ फिजिशियन डा.नीतू यादव का कहना है कि वायु प्रदूषण हर वर्ष सर्दी के मौसम में ज्यादा रहता है और प्रदूषण ना बढ़े इसपर तेजी से काम करना होगा।
उन्होंने कहा कि इस बार वायु प्रदूषण दमा मरीजों के साथ कोरोना मरीजों को भी परेशान करेगा। क्योंकि कोरोना वायरस से मरीज के फेफड़े कमजोर हो जाते हैं। इससे मरीज को सांस लेने में परेशानी होती है। ज्यादा प्रदूषण होने पर दमा मरीज व कोरोना मरीज के फेफड़ों पर असर होता है। यही कारण है कि लगातार बढ़ता प्रदूषण कोरोना मरीजों ओर दमा मरीज के लिए ज्यादा खतरा होता है। इसी तरह आई सर्जन डॉक्टर रमन की माने तो प्रदूषण की वजह से आंखों में जलन की शिकायतें बड़ी है। ओपीडी में रोजाना 10 से15 मरीज आंखों में जलन और आंखों में लाली होने की शिकायत ले कर पहुच रहे है। जैसे जैसे सर्दी बढ़ेगी और प्रदूषण के स्तर बढेगा तो इस तरह के मामलों में इजाफा होगा। साइबर सिटी में लगता बढ़ रहा प्रदूषण चिता का विषय है कि लाख कोशिशों के बाद भी प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है। वायु प्रदूषण का स्तर नहीं बढ़े, इसके लिए सभी को काम करना होगा। इसके लिए पल्यूशन कंट्रोल बोर्ड दुवारा सभी संबंधित विभागों को अवगत कराया गया है। जिससे प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सके।