बागवानी विभाग पलवल द्वारा किसानों को मधुमक्खी पालन के लिए प्रेरित किया

मधुमक्खी पालन के लिए बागवानी विभाग द्वारा 85 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि बागवानी विभाग से पचास मधुमक्खी पालन के बॉक्स लेकर यह व्यवसाय शुरू किया था। मधुमक्खी पालन से उनकी आय तीन गुणा बढ़ चुकी है। मधुमक्खी पालन से दूसरे लोगों को भी रोजगार दिया जा सकता है।

पलवल || बागवानी विभाग पलवल द्वारा किसानों को मधुमक्खी पालन के लिए प्रेरित किया जा रहा है। विभाग द्वारा मधुमक्खी पालन करने वाले किसानों को सब्सिडी प्रदान की जा रही है। बागवानी विभाग पलवल में कार्यरत बागवानी सलाहकार कृष्ण सहरावत ने बताया कि मधुमक्खी पालन एक ऐसा व्यवसाय है जो कम लागत के साथ शुरू किया जा सकता है। यह किसानों की आय को बढाने का एक अच्छा स्रोत बन गया है।
बागवानी विभाग पलवल में कार्यरत बागवानी सलाहकार कृष्ण सहरावत ने बताया कि मधुमक्खी पालन एक ऐसा व्यवसाय है जो बागवानी उत्पादन बढ़ाने की क्षमता भी रखता है। मधुमक्खी पालन करने से शहद एवं मोम के अतिरिक्त अन्य पदार्थ, जैसे गोंद (प्रोपोलिस, रायल जेली, डंक-विष) भी प्राप्त होते है। उन्होंने बताया कि फलों से रस निकालकर मधुमक्खी अपने छत्ते में शहद बनाती है। ठीक उसी तरह मधुमक्खियों को पालकर शहद का उत्पादन किया जाता है। शहद की बढ़ती मांग के कारण इसका उत्पादन करने के लिए जिले में मधुमक्खी पालन शुरू किया गया है। मधुमक्खी पालन से किसानों की आय में अच्छी वृद्धि होती है। उन्हें अतिरिक्त आय का अन्य स्रोत मिल जाता है। उन्होंने बताया कि मधुमक्खियों द्वारा विभिन्न फसलों के परागण से फसल की पैदावार में वृद्धि होती है। फलों, और बीजों की गुणवत्ता में सुधार होता है। मधुमक्खियों द्वारा फसलों के फूलों व फलों का रस लेकर उसे शहद मे तब्दील कर देती हैं और अपने छत्तों में उसे एकत्रित करती है। इसके बाद उस शहद को मशीन की सहायता से निकाला जाता है। रायल जेली का उत्पादन मधुमक्खी के छत्तों में से किया जाता है। यह सबसे उत्तम पौष्टिक पदार्थ माना जाता है। यह मानव शरीर के लिए बेहद लाभदायक होता है।

मधुमक्खी पालन के माध्यम से मोम का उत्पादन किया जाता है। यह शुद्ध और प्राकृतिक मोम होती है, जिसका उपयोग कॉस्मेटिक सामग्री तैयार करने और मधुमक्खी पालन के लिए मोमी बेस शीट तैयार करने में किया जाता है। उन्होंने बताया कि मधुमक्खी की चार प्रकार की प्रजातियां पाई जाती है। जिनमें एपिस डोरसेटा (भंवर मधुमक्खी), एपिस फलोरिया (उरम्बी मधुमक्खी), एपिस सेराना इण्डिका (भारतीय मधुमक्खी), एपिस मेलिफेरा (इटालियन मधुमक्खी) शामिल है। उन्होंने किसानों से अपील करते हुए कहा कि मधुमक्खी पालन करें और अपनी आय में बढोतरी करें।