बेबस ग्रामीणों पर आंसू गैस से प्रहार
थर्मल-मैनेजमेंट और ग्रामीणों के बीच चल रहा था विवाद IPC की धाराओं के तहत केस दर्ज 150 लोगों का नाम शामिल
Hisar (Parveen Kumar ) : हिसार में थर्मल प्लांट की राख को लेकर थर्मल-मैनेजमेंट और ग्रामीणों के बीच चल रहा विवाद सोमवार को भड़क गया। ग्रामीणों ने मुख्य गेट के बाहर धरना लगाया, लेकिन सुनवाई नहीं हुई तो थर्मल में घुसने का प्रयास किया। पुलिस ने हल्का बल प्रयोग किया। ग्रामीणों पर वाटर कैनन से पानी की बोछार की गई और आंसू गैस के गोले भी दागे गए। ग्रामीणों और पुलिस में हुए टकराव में 3-4 ग्रामीणों को चोटें आई हैं, जिनको अस्पताल ले जाया गया है। फिलहाल 72 घंटे का अल्टीमेटम देकर ग्रामीण थर्मल के मेन गेट पर धरना लगाकर बैठ गए हैं। मौके पर भारी पुलिस बल भी तैनात है। एक महीना पहले ग्रामीणों पर केस दर्ज हो चुका है। मिली जानकारी के अनुसार खेदड़ स्थित राजीव गांधी थर्मल पावर प्लांट से निकलने वाली राख को लेकर करीब डेढ़ महीने से ग्रामीणों का धरना चलता आ रहा है। पहले ग्रामीण थर्मल के पिछले गेट पर धरना दे रहे थे, लेकिन अब उनकी मांग का कोई समाधान नहीं निकला तो वे सोमवार को थर्मल के मेन गेट पर धरना देकर बैठ गए। इस बीच किसी असामाजिक तत्व ने बाहर बने केबिन के शीशे तोड़ दिए। इस बीच ग्रामीणों को अंदर जाने से रोकने के लिए थर्मल का मेन गेट अंदर से बंद कर दिया गया तो ग्रामीणों ने भी बाहर धरना देकर आवागमन पूरी तरह से बंद कर दिया। विवाद बढ़ा तो ग्रामीणों ने थर्मल के अंदर घुसने का प्रयास किया। इस पर पुलिस ने उनको रोकने के लिए हल्का बल प्रयोग किया। ग्रामीणों को खदेड़ने के लिए वाटर कैनन से पानी बरसाया गया। साथ ही आंसू गैस के गोले भी छोड़े गए। इसमे 3-4 ग्रामीणों को चोटें आई हैं। वही टकराव के बाद भी ग्रामीण थर्मल के मेन गेट पर धरना देकर बैठे हैं। उन्होंने प्रशासन को 72 घंटे का अल्टीमेटम दिया है कि उनकी मांग को स्वीकार किया जाए। इसके बाद वे अपने आंदोलन को तेज कर देंगे।बता दें कि सारा विवाद खेदड़ में राजीव गांधी थर्मल पावर प्लांट से निकलने वाली राख को लेकर है। प्लांट मे बड़ी मात्रा में बिजली के उत्पादन के लिए कोयले के जलने से राख उत्पन्न होती है। इसमें 80 प्रतिशत राख सूखी फ्लाई ऐश होती है, शेष 20 प्रतिशत राख नीचे की राख है। सूखी फ्लाई ऐश सीमेंट की ईंटें बनाने वालों को बेची जा रही है। आरंभ में खेदड़ के ग्रामीणों को इस राख की सप्लाई मुफ्त में दी जा रही थी। लेकिन 22 फरवरी को पावर मंत्रालय ने फ्लाई ऐश की बिक्री के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। अब इसे बोली लगाकर बेचा जाना है। थर्मल प्लांट की ओर से इसके बाद मुफ्त में राख की आपूर्ति बंद कर दी गई है। ऐसा करने के बाद ग्रामीण सरकार के फैसले का विरोध कर रहे हैं और अग्रोहा रोड पर ऐश प्लांट के गेट को ताला लगाकर धरना दे रहे हैं। इनमें गांव के सरपंच से लेकर गोशाला के प्रधान समेत 150 से ज्यादा लोग धरने पर बैठे हैं। ये सरकारी काम में बाधा डाल रहे हैं और इससे आवाजाही भी बंद हो गई। ड्राई फ्लाई ऐश का परिवहन बंद कर दिया गया है। थोक विक्रेताओं की आवाजाही ठप होने से प्लांट को करोड़ों रुपए का नुकसान उठाना पड़ रहा था। थर्मल के ऐश प्लांट के गेट को बंद किए बैठे ग्रामीणों का तर्क है कि राख के उठान से जो आमदनी हो रही थी, वह गांव खेदड़ की गोशाला व गांव के कुछ विकास कार्यों पर खर्च हो रही थी। जब थर्मल प्लांट प्रबंधन के पास राखी का उठान करने की व्यवस्था नहीं थी, उस समय गोशाला ने ही ये ज़िम्मेदारी संभाली थी। थर्मल की राख से गोशाला का खर्चा चलता है और एक हजार गायों का पालन पोषण होता है। ग्रामीण राख को किसी अन्य को बेचने का विरोध कर रहे हैं और धरने पर बैठे हैं।वही थाना बरवाला पुलिस ने थर्मल प्लांट के इंजीनियर की प्रवीण कुमार की शिकायत पर इस मामले में करीब एक महीना पहले IPC की धारा 147/ 149/ 186/ 283/ 341/ 353 के तहत केस दर्ज कर लिया है। इसमें कालीराम, ब्रह्म प्रकाश प्रधान गौशाला, पवन, अध्यक्ष, शमशेर (शेरू) पूर्व सरपंच, दयानंद शर्मा, चांद, सतेंद्र सहारण, ताराचंद नैन, अनिल सहारण, सज्जन सिंह, प्रकाश नंबरदार, जोगी राम सैनी, वजीर सहारण, रामकेश नैन, हरदेव, सतबीर, रामनिवास, सोहनलाल, राजबीर सरपंच समेत 150 लोगों को शामिल किया गया है।