Delhi मे फिर से अधिकारो की लड़ाई !
राजधानी दिल्ली में सत्ता के बटवारे को लेकर कई सालों से मुख्यमंत्री और उपराज्यपाल के बीच तनातनी बनी हुई है और एकबार फिर दिल्ली में अधिकारों की लड़ाई तेज होने वाली है। दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (संशोधन) अधिनियम-2021 के आने के बाद दिल्ली मे सरकार से ज्यादा उपराज्यपाल का बोलबाला है।
Delhi ।। Himanshi Rajput || राजधानी दिल्ली में सत्ता के बटवारे को लेकर कई सालों से मुख्यमंत्री और उपराज्यपाल के बीच तनातनी बनी हुई है और एकबार फिर दिल्ली में अधिकारों की लड़ाई तेज होने वाली है। दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (संशोधन) अधिनियम-2021 के आने के बाद दिल्ली मे सरकार से ज्यादा उपराज्यपाल का बोलबाला है। लेकिन इन तनातनी के बीच अभी तक दिल्ली सरकार ने जरुरी संसोधन नहीं किये है । गृह मंत्रालय की और से जारी अधिसूचना के तहत ये अधिनियम 27 अप्रैल 2021 से लागू होने थे. इसीलिए दिल्ली के उपराज्यपाल वी.के सक्सेना ने दिल्ली सरकार को जरुरी संसोधना करने के निर्देश दिए है ।
आपको बता दें कि दिल्ली मे पहले उपराज्यपाल को हर वो कानून भेजा जाता था जो की दिल्ली सरकार बनाना चाहती थी साथ ही उपराज्यपाल को अधिकार था की वो कुछ मामले राष्टपति के पास भेज सकते थे, और लंबित मामले की स्थिति में उपराज्यपाल को अपने विवेक के मुताबिक, उस मामले पर कार्रवाई करने का भी अधिकार था।
लेकिन 2018 मे सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद उपराज्यपाल की सलाह को मानना बाध्य नहीं था. और दिल्ली सरकार ने इसी बात को फायदा उठाते हुए इसका दुरूपयोग शुरू कर दिया था।
वहीं 2021 के संसोधन क बाद उपराज्यपाल को वो अधिकार भी दिए गए जिनमे कनून बनाने केअधिकार केवल दिल्ली सरकार के पास था। साथ ही दिल्ली मंत्रीमंडल द्वारा लिये गए किसी भी निर्णय को लागू करने से पूर्व उपराज्यपाल को अपनी राय देने का मौका दिया जायेगा. बता दें कि यह कानून विधानसभा या उसकी समितियों को उन दैनिक प्रशासन से संबंधित मामलों को उठाने या प्रशासनिक निर्णयों के संबंध में पूछताछ करने से भी रोकती है जो कि पूरी तरह से उपराज्यपाल के अधिकार में है।