गांव झिंझर के किसानों ने धान की बिजाई नहीं करने का लिया फैसला
प्रगतिशील किसान अनूप सिंह की अगुवाई में किसानों ने बताया कि धान की बजाये सरकार की योजना अनुसार मोटा अनाज पैदा करने का निर्णय लिया है। मेरा पानी मेरी विरासत से कुछ किसानों को प्रोत्साहन राशि भी मिली है। इस राशि को किसान अपनी दूसरी फसलों के पैदावार में होने वाले खर्च में लगा रहे हैं।
चरखी दादरी || लगातार एक ही फसल लगाने व जल दोहन पर रोक लगाने के साथ-साथ आने वाली पीढ़ी की सोच अनुरूप चरखी दादरी जिला के गांव झिंझर के किसानों ने धान की बिजाई नहीं करने का फैसला लिया है। किसानों ने हरियाणा सरकार द्वारा शुरू की गई मेरा पानी, मेरी विरासत योजना के तहत मिलने वाली प्रोत्साहन राशि से दूसरी फसलें लगाने में खर्च करने की पहल की है। साथ ही आसपास क्षेत्र के किसानों को भी धान नहीं लगाने बारे जागरूक करने का निर्णय लिया।
बता दें कि दादरी क्षेत्र में अनेक गांवों की पंचायतों द्वारा पहले ही धान की बिजाई पर रोक लगाई हुई है। धान की फसल में जहां पानी की चोरी की जाती थी वहीं खेतों का पानी गांवों में घुसने से हालात खराब होते थे। ऐसे में गांव झिंझर के किसानों ने इस बार धान की बिजाई नहीं करने का निर्णय लिया। प्रगतिशील किसान अनूप सिंह की अगुवाई में किसानों ने बताया कि धान की बजाये सरकार की योजना अनुसार मोटा अनाज पैदा करने का निर्णय लिया है। मेरा पानी मेरी विरासत से कुछ किसानों को प्रोत्साहन राशि भी मिली है। इस राशि को किसान अपनी दूसरी फसलों के पैदावार में होने वाले खर्च में लगा रहे हैं।
किसान अनूप सिंह ने बताया कि मेरा पानी मेरी विरासत योजना का किसानों को सीधे रूप से फायदा मिल रहा है। उनकी पहल पर गांव में अनेक किसानों ने धान फसल की बजाई छोड़कर दूसरी फसलों को अपनाया है। वहीं किसान रामहेर शर्मा व मुकेश का कहना है कि सरकार की योजना मेरा पानी मेरी विरासत किसानों के लिए बहुत अच्छी है। उसने सरकार की योजना से प्रेरित होकर धान की बजाई छोड़ते हुए मोटा अनाज पैदा करना शुरू कर दिया है। योजना को लेकर उसने ऑनलाइन आवेदन किया था, जिसका उसे लगातार तीन वर्ष से पैसा भी मिल रहा है।
कृषि विभाग के उपमंडल अधिकारी डॉ. कृष्ण कुमार ने बताया कि सरकार की योजना मेरा पानी मेरी विरासत योजना किसानों के हित में है। जहां किसानों को प्रोत्साहन राशि मिल रही है वहीं जमीन की उपजाऊ शक्ति भी बरकरार रहती है। गांव झिंझर के किसानों द्वारा धान की बिजाई नहीं करने का फैसला बहुत अच्छा है। इस गांवों के किसानों से दूसरे गांवों के किसान भी धान की बजाये दूसरी फसलों की बिजाई करेंगे।