अम्बाला में फसलों के अवशेष न जलाने को लेकर किसान हुए जागरूक...
फसलों के अवशेष न जलाएं जाएं इसको लेकर अब किसान जागरूक होते नजर आ रहे हैं। अंबाला के 2 गांवों में फसल की कटाई के बाद बेलर मशीन की मदद से उनके गठ्ठे बना किसान द्वारा उन्हें मिल्स में बेचा जा रहा है। जिससे पर्यावरण को नुकसान नही हो रहा तो वहीं किसान अब कमाई भी करने लगे हैं। 2 गांवों के किसान बिल्कुल भी फसल के अवशेषों को आग के हवाले नही करेंगे।
अम्बाला (अंकुर कपूर) || फसलों की कटाई के बाद किसान बचे हुए अवशेषों को आग के हवाले कर दिया जाता था। लेकिन अब अंबाला के दो गांव उगाड़ा व बाड़ा में किसानों द्वारा पंजाब से बेलर मशीन मंगवाई गयी है। जिसकी मदद से पराली के गठ्ठे बना उन्हें स्टोर किया जा रहा है और काम पूरा होने के बाद उन्हें मिल्स के अंदर बेच दिया जाएगा। दोनों गांव अंबाला के आदर्श गांव है और दोनों गांवों के अंदर एक हजार एकड़ खेती की जमीन है। किसानों को यह आईडिया कृषि विभाग के डिप्टी डायरेक्टर गिरीश नागपाल ने दिया था जो पंजाब से एक कंपनी की मदद से बेलर मशीन यहां ला पाने में कामयाब रहे। किसानों के लिए यह मशीन जितनी मददगार है उतनी ही फायदेमंद पर्यावरण के लिए है। किसानों का कहना है अब उन्हें कम मेहनत करनी पड़ रही है। पहले उन्हें काफी डीजल खर्च करना पड़ता था अवशेषों को जलाने से लेकर अगली फसल लगाने तक अब खर्च कम होगा और उन्हें पराली के पैसे भी मिलेंगे।
बेलर मशीन आने से अब किसान फसल के अवशेषों को आग नही लगाएंगे जिससे जमीन को भी नुकसान नही होगा। इससे पहले किसानों के पास कोई दूसरा चारा भी नही होता था । किसानों को मशीन लेने के लिए ग्राम सचिवालय में रजिस्टर करवाना होता है और गांव के सरपंच उनकी बारी के अनुसार किसानों को मशीन मुहैया करवाते है । अवशेषों के गठ्ठे बनाने के बाद उन्हें स्टोर किया जाता है। गांव के सरपंच ने बताया जब पूरी पराली बिक जाएगी तब पता चलेगा कि हर किसान को कितनी कमाई होगी लेकिन अभी अंदाजा है पर एकड़ पर किसान को 500 रुपये बच जाएंगे और इसके लिए उन्हें कुछ भी खर्च नही करना पड़ रहा। यह बेलर मशीनें पूरे गांव को मिले इसके लिए इसका पूरा प्रपोजल बना कृषि विभाग के डिप्टी डायरेकर गिरीश नागपाल चीफ सेक्टरी को दे चुके है। ताकि पूरे हरियाणा में इस तरह की मशीने मुहैया हो सके और किसान फसलो के अवशेष न जलाएं। कृषि विभाग के डिप्टी डायरेक्टर गिरीश नागपाल का कहना है । यह पर्यावरण और किसानों दोनों के लिए फायदेमंद हैं। किसानों को कुछ खर्च नही करना पड़ता और उन्हें इससे कमाई भी होगी। इस मशीन के उपयोग के बाद किसान अपनी अगली फसल यानी गेंहू की फसल भी आसानी से और जल्द बीज सकेंगे क्योंकि उनके पास काफी कम समय होता है अगली फसल बीजने के लिए।