किसानों ने फिर से दादरी की धरती से किसान आंदोलन की चिंगारी उठाने का दिया अल्टीमेटम...
कृषि संबंधित तीन अध्यादेशों के विरोध में विभिन्न किसान, राजनीति व सामाजिक संगठनों ने एकजुट होते हुए चार घंटे तक चक्का जाम किया। इस दौरान किसानों ने अल्टीमेटम दिया कि अगर अध्यादेशों में संसोधन नहीं किया तो एक बार फिर से दादरी की धरती से आंदोलन की चिंगारी उठेगी।
चरखी दादरी (प्रदीप साहू) || कृषि संबंधित तीन अध्यादेशों के विरोध में विभिन्न किसान, राजनीति व सामाजिक संगठनों ने एकजुट होते हुए चार घंटे तक चक्का जाम किया। इस दौरान किसानों ने अल्टीमेटम दिया कि अगर अध्यादेशों में संसोधन नहीं किया तो एक बार फिर से दादरी की धरती से आंदोलन की चिंगारी उठेगी। वहीं महम के विधायक बलराज कुंडू ने जाम स्थल पर पहुंचकर आंदोलन का समर्थन करते हुए सीएम से अध्यादेशों बारे पांच सवालों का जवाब देने का चेलेंज किया।
तीन अध्यादेशों को लेकर भाकियू के आह्वान पर सुबह से ही अनाजमंडी में किसान एकजुट होने शुरू हो गए थे। किसानों के चक्का जाम को देखते हुए प्रशासन द्वारा चार ड्यूटी मैजिस्ट्रेट व चार डीएसपी की नियुक्ति की गई थी। दोपहर 12 बजे किसानों ने सरकार विरोध नारेबाजी करते हुए अनाजमंडी के समक्ष दादरी-कनीना रोड जाम कर दिया। जाम के कारण पुलिस कर्मियों ने वाहनों को डायवर्ट करके भेजना पड़ा। जाम स्थल पर फौगाट खाप, श्योराण खाप, किसान संगठन, इनेलो, कांग्रेस व सामाजिक संगठनों के पदाधिकारियों ने अध्यादेशों के विरोध में किसान आंदोलन का समर्थन किया।
इस दौरान वयोवृद्ध किसान नेता कमल सिंह मांढी व भाकियू जिलाध्यक्ष जगबीर घसोला ने अगुवाई करते हुए कहा कि जिस प्रकार पहले भी किसान आंदोलन दादरी की धरती से शुरू हुए थे। उसी तर्ज पर इस बार भी दादरी की धरती से किसान आंदोलन की चिंगारी उठेगी। फौगाट खाप प्रधान बलवंत नंबरदार ने कहा कि खाप पूरी तरह से किसानों के साथ है और आंदोलन में बढ़चढ़ भाग लेते हुए संघर्ष करेंगे।
वहीं महम विधायक बलराज कुंडू ने दादरी में किसानों के चक्का जाम स्थल पर पहुंचकर समर्थन देते हुए प्रदेश के सीएम मनोहर लाल से कृषि अध्यादेशों बारे पांच सवालों के जवाब देने का चेलेंज किया। कहा कि अगर जवाब देते हैं तो वे उनकी पूरी उम्र गुलामी करेंगे। कुंडू ने कहा कि भाजपा सरकार किसान-मजदूर-कमेरे को बर्बाद करना चाहती है। बड़े पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए तानाशाही व किसान विरोध कानून बनाए जा रहे हैं। क्योंकि पूंजीपतियों की नजर किसानों की कृषि भूमि पर है। ऐसे में किसान सावधान होकर अपने-पराए की पहचान करो और एकजुट होकर संघर्ष करो। इसी कड़ी में किसानों को न्याय दिलाने के लिए दो अक्टूबर को महम में भूख हड़ताल शुरू करते हुए किसान आंदोलन की रूपरेखा तैयार की जाएगी। साथ ही उन्होंने गठबंधन की सहयोगी पार्टियों को सिर्फ सत्ता की भूखी पार्टी बताते हुए नई उर्जा के साथ राजनीति में नए लोगों को आने के लिए प्र्रेरित किया।