वन रैंक-वन पेंशन सहित अन्य मांगों को लेकर पूर्व सैनिक बैठे भूख हड़ताल पर
इस दौरान पूर्व सैनिकों केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। भूख हड़ताल पर बैठे पूर्व सैनिकों को संबोधित करते हुए सूबेदार मेजर सुरेंद्र कौशिक ने कहा कि देश सेवा एवं रक्षा के लिए एक सैनिक अपने परिवार तक से दूर होता है। जिसके बाद जब उसका कार्यकाल समाप्त हो जाता है तो उसका एकमात्र सहारा पेंशन ही होता है, लेकिन अब केंद्र सरकार पूर्व सैनिकों की एकमात्र सहारा पेंशन के हक को भी डकारना चाहती है.
भिवानी || वन रैंक-वन पेंशन में वेतन विसंगति दूर किए जाने, एक समान मिलट्री सर्विस पे दिए जाने, 2017 के बाद आए प्रीमेच्योर पेंशनर को ओआरओपी में शामिल करने, एक समान डिसेबिलिटी पेंशन, एक समान विधवा पेंशन, रिजर्व भेजे गए जवानों को ओआरओपी में शामिल करने, जेसीओ और ऑनरेरी रैंक को ओआरओपी का लाभ दिए जाने की मांग को लेकर फेडरेशन ऑफ वेटनर एसोसिएशन के आह्वान पर रविवार को देश भर के प्रत्येक जिला मुख्यालयों पर पूर्व सैनिकों ने एक दिन की सांकेतिक भूख हड़ताल की तथा केंद्र सरकार को चेताया कि यदि जल्द ही पूर्व सैनिकों की मांग नहीं मानी गई तो दुश्मन सैनिकों से देश की रक्षा करने वाले पूर्व सैनिक अपने हकों की रक्षा के लिए सरकार से भिडऩे तक से गुरेज नहीं करेंगे। इसी कड़ी में रविवार को स्थानीय नेहरू पार्क में जिला भर के पूर्व सैनिक एकत्रित हुए तथा सांकेतिक भूख हड़ताल पर बैठे। भूख हड़ताल की अध्यक्षता पूर्व सैनिक संघ भिवानी के जिला प्रधान सूबेदार मेजर सुरेंद्र कौशिक ने की। इस दौरान पूर्व सैनिकों केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। भूख हड़ताल पर बैठे पूर्व सैनिकों को संबोधित करते हुए सूबेदार मेजर सुरेंद्र कौशिक ने कहा कि देश सेवा एवं रक्षा के लिए एक सैनिक अपने परिवार तक से दूर होता है। जिसके बाद जब उसका कार्यकाल समाप्त हो जाता है तो उसका एकमात्र सहारा पेंशन ही होता है, लेकिन अब केंद्र सरकार पूर्व सैनिकों की एकमात्र सहारा पेंशन के हक को भी डकारना चाहती है, जिसे कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि पूर्व सैनिक पिछले लंबे समय से अपनी मांगों को लेकर संघर्षरत्त है, लेकिन केंद्र सरकार उनकी सुनवाई करने की बजाए उन्हे कमजोर समझते हुए उनकी मांगों को नजरअंदाज कर रही है, जो कि सरकार की गलत फहमी है। उन्होंने कहा कि मांग पूरी होने तक उनकी लड़ाई जारी रहेगी। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि भाजपा सरकार 2014 में पूर्व सैनिकों से किए गए वायदे को पूरा करे, नहीं तो 2024 के चुनावों में भाजपा को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि यदि 22 जुलाई तक उनकी मांग नही मानी गई तो देश भर के पूर्व सैनिक 23 जुलाई को जंतर-मंतर पर एकत्रित होंगे तथा सरकार के खिलाफ बड़े संघर्ष की रूपरेखा तैयार करेंगे।