झज्जर में केन्द्र सरकार के कृषि अध्यादेश पर बिफरे पूर्व सैनिक...
केंद्र सरकार द्वारा लोकसभा में पारित कराए गए कृषि अध्यादेश पर समर्थन व विरोध करने की राजनीति कई दिनों से जारी है। गत दिवस क्षेत्र के कुछ गांवों से ट्रैक्टर-ट्रालियों में सवार होकर इन कृषि अध्यादेश का समर्थन करने आए किसानों के प्रदर्शन के बाद शनिवार को झज्जर में इन्हीं अध्यादेश को लेकर विरोध जताया गया।
झज्जर (संजीत खन्ना) || केंद्र सरकार द्वारा लोकसभा में पारित कराए गए कृषि अध्यादेश पर समर्थन व विरोध करने की राजनीति कई दिनों से जारी है। गत दिवस क्षेत्र के कुछ गांवों से ट्रैक्टर-ट्रालियों में सवार होकर इन कृषि अध्यादेश का समर्थन करने आए किसानों के प्रदर्शन के बाद शनिवार को झज्जर में इन्हीं अध्यादेश को लेकर विरोध जताया गया। यह विरोध पूर्व सैनिकों द्वारा जताया गया। हांलाकि विरोध के दौरान इन पूर्व सैनिकों ने अपनी नाममात्र हाजरी के लिए जिला प्रशासन को जिम्मेवार ठहराया। इनका कहना था कि सरकार के इशारे पर प्रशासन ने उनके विरोध प्रदर्शन में ज्यादा संख्या न जुटाने की हिदायत दी थी। इसी के चलते उन्होंने प्रशासन की गाइड लाइन अनुसार ही हाजरी जुटाई।
यहां अम्बेड़कर चौक पर एकत्रित हुए इन पूर्व सैनिकों ने सूबेदार दलबीर सिंह जहांगीरपुर की अध्यक्षता में प्रदर्शन करते हुए न सिर्फ केन्द्र सरकार द्वारा लोकसभा में पारित किए गए इन कृषि अध्यादेश का विरोध जताया बल्कि भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ का पुतला भी फूंका। इन पूर्व सैनिकों का कहना था कि केन्द्र सरकार ने इन कृषि अध्यादेश के नाम पर किसानों की हत्या किए जाने जैसा कानून लाकर किसान विरोधी होने का प्रमाण दिया है। भाजपा इस काले कानून पर भी अपनी पीठ थमपथा रही है। पूर्व सैनिकों का यह भी कहना था कि गत दिवस इन कृषि अध्यादेश का समर्थन करने के लिए भाजपा के इशारे पर क्षेत्र से जो लोग यहां किसान बनकर आए थे वास्तव में वह किसान न होकर भाजपा के कार्यकर्ता थे और उन्हें धनखड़ ने ही ऐसा करने के लिए भेजा था। यहां पहुंचे कपिल फौजी का कहना था कि सरकार के इन अध्यादेशों से मंडी बोर्ड (मंडी व्यवस्था) खत्म हो जाएगी. उनका कहना है कि केंद्र सरकार के इन तीनों अध्यादेशों में बहुत से लूपहोल्स हैं जिससे किसानों को नुकसान होगा, जबकि कॉरपोरेट जगत और बिचौलिये फायदे में रहेंगे।