चरखी दादरी में 60 साल बाद जिला मुख्यालय पर सरकारी कॉलेज की दरकार...
छात्र व छात्राओं को जिला मुख्यालय पर सरकारी कॉलेज की सुविधा दिलाने के लिए करीब 35 ग्राम पंचायतें, शिक्षाविद्, व्यापारी, नगर पार्षद और सामाजिक संस्थाओं ने एकत्रित होकर एक सुर में सरकार से मांग उठाने का फैसला लिया है।
चरखी दादरी (प्रदीप साहू) || छात्र व छात्राओं को जिला मुख्यालय पर सरकारी कॉलेज की सुविधा दिलाने के लिए करीब 35 ग्राम पंचायतें, शिक्षाविद्, व्यापारी, नगर पार्षद और सामाजिक संस्थाओं ने एकत्रित होकर एक सुर में सरकार से मांग उठाने का फैसला लिया है। करीब 60 साल पहले जिले में पहला निजी संस्था ने जनता कॉलेज बनवाया था। जो बाद में एडेड हो गया था। बावजूद इसके सरकारी कॉलेजों को मिलने वाली सुविधा शहर में नहीं है। अब शिक्षाविदें के साथ-साथ सामाजिक संगठनों ने मीटिंग कर जिला मुख्यालय पर सरकार कालेज खोलने की मांग उठाई है।
बता दें कि 1963 में पहला कॉलेज बना था जिस समय जिले की आबादी करीब 1 लाख होती थी जो बढक़र अब करीबन 6 लाख हो चुकी है। जिले के उच्चस्तर की शिक्षा लेने वाले विद्यार्थियों को फैकल्टी और सीटों सहित मनपसंद सब्जेक्ट नहीं मिल पा रहे हैं। ऐसे में जिले से हजारों विद्यार्थी रोहतक, भिवानी, हिसार, कुरूक्षेत्र, चंडीगढ़ व दिल्ली में अपनी पढ़ाई करने को मजबूर हैं। मीटिंग में कई गांवों के सरपंचों ने कहा कि अगर सरकारी कॉलेज बनता है तो वे अपने गांव की सरकारी जमीन देने को तैयार है। मीटिंग में ज्यादातर गणमान्य लोगों ने सिर्फ शहर में ही संस्था या सरकारी जमीन पर कॉलेज बनाने पर इच्छा जाहिर की। ताकि बच्चों को सभी सुविधाएं एक ही जगह पर मिल सके। मीटिंग में मौजूद सभी गणमान्य लोगों ने अपने अपने विचार रखे। इस दौरान अधिवक्ता संजीव तक्षक व विरेंद्र डूडी ने कहा कि शहर में दो निजी संस्था के कॉलेज होने कारण इनकी फीस भी सरकारी कॉलेज से ज्यादा है। जिले के विद्यार्थियों को ज्यादा फीस देने पर भी सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं। ऐसे में सरकार को शहर में सरकारी कालेज बनाना चाहिए। बैठक में फैसला लिया गया है कि अब तक सामाजिक संस्थाए, नगर पार्षद व ग्राम पंचायतों ने ही मुख्यालय पर सरकारी कॉलेज का प्रस्ताव दिया है। पहले डीसी को सीएम के नाम ज्ञापन दिया जाएगा। इसके बाद विधायक व पूर्व विधायकों से भी समर्थन मांगा जाएगा।