बिलासपुर- आजादी के अमृतकाल में 'वीर बाल दिवस' के रूप में एक नया अध्याय शुरू हुआ है!
बिलासपुर || घुमारवीं के हारकुकार गुरुद्वारा में वीर बाल दिवस कार्यक्रम का आयोजन किया। इस मौके पर पूर्व खाद्य आपूर्ति मंत्री राजेंद्र गर्ग विशेष रूप से उपस्थित रहे। उन्होंने गुरु गोविंद सिंह के साहिबजादों की शहादत को याद कर नमन किया। गर्ग ने कहा कि गुरु गोविंद सिंह जी के बेटों की शहादत को याद करने के लिए 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि आजादी के अमृतकाल में 'वीर बाल दिवस' के रूप में एक नया अध्याय शुरू हुआ है।
बिलासपुर || घुमारवीं के हारकुकार गुरुद्वारा में वीर बाल दिवस कार्यक्रम का आयोजन किया। इस मौके पर पूर्व खाद्य आपूर्ति मंत्री राजेंद्र गर्ग विशेष रूप से उपस्थित रहे। उन्होंने गुरु गोविंद सिंह के साहिबजादों की शहादत को याद कर नमन किया। गर्ग ने कहा कि गुरु गोविंद सिंह जी के बेटों की शहादत को याद करने के लिए 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि आजादी के अमृतकाल में 'वीर बाल दिवस' के रूप में एक नया अध्याय शुरू हुआ है। गुरु गोविंद सिंह और उनके चारों बेटों की वीरता हर भारतीय को ताकत देती है। ये दिवस उन वीरों के शौर्य की सच्ची श्रद्धांजलि है। उन्होंने कहा कि यह दिवस पिछले साल से ही मनाना शुरू किया है। उन्होंने कहा कि जब हम अपनी विरासत पर गर्व करना शुरू करते हैं तो दुनिया हमें अलग नजरिए से देखती है। वीर बाल दिवस भारतीयता की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जाने का प्रतीक है। पिछले वर्ष देश ने पहली बार 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस के तौर पर मनाया था। तब पूरे देश में सभी ने भाव विभोर होकर साहिबजादों की वीर गाथाओं को सुना था।
वीर बाल दिवस भारतीयता की रक्षा के लिए कुछ भी कर गुजरने के संकल्प का प्रतीक है। ये दिन हमें याद दिलाता है कि शौर्य की पराकाष्ठा के समय कम आयु मायने नहीं रखती। उन्होंने कहा कि साल 1705 में गुरु गोविंद सिंह के दो बेटों साहिबजादा जोरावर सिंह और साहिबजादा फतेह सिंह ने महज नौ साल और छह साल की उम्र में सिख धर्म के सम्मान में सर्वोच्च बलिदान दिया था। बीते साल 9 जनवरी को गुरु गोविंद सिंह के प्रकाश पर्व के अवसर पर पीएम मोदी ने 26 दिसंबर को साहिबजादों की शहादत के सम्मान में वीर बाल दिवस के रूप में मनाने का एलान किया था। सिक्खों के दसवें गुरू गुरू गोबिन्द सिंह के पुत्रों की शहादत के सम्मान में इस दिन को मनाया जाता है. गुरु गोबिन्द सिंह ने 1699 में खालसा पंथ की स्थापना की थी| गुरु गोबिन्द सिंह जी के 4 पुत्र अजीत सिंह, जुझार सिंह, जोरावर सिंह और फतेह सिंह थे. ये चारों ही खालसा का हिस्सा थे. 26 दिसंबर के दिन ही जोरावर सिंह और फतेह सिंह, इसी हमले में शहीद हुए थे और बाकी परिवार वालों से अलग हो गए. उनकी शहादत को याद करने के लिए ही ये दिन मनाया जाता है।