गुरुग्राम में इको ग्रीन कंपनी पर लगे बड़े आरोप
गुरुग्राम में आरटीआई से खुलासा हुआ है कि कूड़ा उठाने वाली चाईनीज कम्पनी ईको ग्रीन पर खट्टर सरकार मेहरबान है तो गुरूग्राम, फरीदाबाद की जनता परेशान है। सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्रोजैक्ट की तहत कूड़े से बिजली बनाने का दावा करके चाईनीज कम्पनी ने 18 लाख टन कूड़े का पहाड़ बना डाला है।
गुरुग्राम (संजय खन्ना) || गुरुग्राम में आरटीआई से खुलासा हुआ है कि कूड़ा उठाने वाली चाईनीज कम्पनी ईको ग्रीन पर खट्टर सरकार मेहरबान है तो गुरूग्राम, फरीदाबाद की जनता परेशान है। सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्रोजैक्ट की तहत कूड़े से बिजली बनाने का दावा करके चाईनीज कम्पनी ने 18 लाख टन कूड़े का पहाड़ बना डाला है। इस कूड़े का पहाड़ बनाने पर नगर निगम गुरूग्राम व फरीदाबाद ने 31 माह में 126 करोड़ रूपये भी खर्च दिए हैं। आरटीआई एक्टिविस्ट पीपी कपूर ने इस पूरे प्रोजैक्ट को पर्यावरण विरोधी व घोटाला बताते हुए तत्काल रद्द करने की मांग की है।
पानीपत के आरटीआई एक्टिविस्ट पीपी कपूर ने बताया कि सॉलिड वेस्ट मैंनेजमेंट प्रोजैक्ट के फरीदाबाद-गुरूग्राम कलस्टर में 126 करोड़ रूपये चाईनीज कम्पनी होंगजिहू जिंगजियांग की सहायक कम्पनी ईको ग्रीन को नगर निगम फरीदाबाद व गुरूग्राम दे चुके हैं। पिछले 31 माह में फरीदबाद नगर निगम 52.80 करोड़ रूपये जबकि गुरूग्राम नगर निगम 73.21 करोड़ रूपये भुगतान कर चुका है। कुल करीब 18 लाख टन कूड़ा उठाया गया। इसमें से फरीदबाबाद नगर निगम क्षेत्र में 7,43,625 टन जबकि शेष 10.31 लाख टन गुरूग्राम नगर निगम क्षेत्र में कूड़ा उठाया गया। बिजली बनाने का वायदा करके बनाया कूड़े का पहाड़: 14 अगस्त 2017 को हुए टैंडर एग्रीमेंट की शर्तों मुताबिक बंधवाड़ी (अरावली क्षेत्र) में कूड़े से बिजली का उत्पादन 14 अगस्त 2019 से शुरू होना था। लेकिन तीन वर्ष बीत जाने के बावजूद पावर प्लांट निर्माण की एक ईंट तक नहीं लगी। फरीदाबाद व गुरूग्राम से एकत्रित करीब 18 लाख मीट्रिक टन कूड़े का ऊंचा पहाड़ यहां कुल 36 एकड़ भूमि में जरूर खड़ा कर दिया गया है। जिससे अरावली क्षेत्र का पर्यावरण व भू-जल प्रदूषित हो रहा है। कूड़े व गंदगी का यही डम्पिंग ग्राउंड फरीदाबाद सैक्टर-74 (गांव सीही) में करीब 15 एकड़ भूमि पर नगर निगम फरीदाबाद बनाने जा रहा है।
पर्यावरण विरोधी प्रोजैक्ट: नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश पर राज्य प्रदूषण नियन्त्रण बोर्ड भी ईको ग्रीन कम्पनी को प्रदूषण फैलाने व पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने पर 25 लाख रूपये का जुर्माना 11 नवम्बर 2019 को लगा चुका है। ठेका रद्द होना था लेकिन किया नहीं: टैंडर एग्रीमेंट की शर्तों के मुताबिक 7 लाख रूपये या 7 लाख रूपये से ज्यादा का जुर्माना लगने पर नगर निगम को ठेका रद्द करने का अधिकार है। लेकिन नगर निगम फरीदाबाद ने जून 2020 तक कुल 1,57,55,395/- रूपये का जुर्माना लगाने के बावजूद भी ठेका रद्द करने की कारवाई नहीं की। गुरूग्राम नगर निगम भी 400 केसों में कम्पनी पर जुर्माना लगा चुका है। इकोग्रीन ने ठेका सबलेट किया:- इकोग्रीन कम्पनी ने टेंडर एग्रीमेंट के विरुद्ध सीनियर डिप्टी मेयर प्रमिला कपलाना के सगे भाई योगेंद्र को ज़ोन नम्बर दो में डोर टू डोर कूड़ा इकट्ठा करने व ट्रांसपोर्टेशन का ठेका लिखित रूप से दिया है । कपूर ने आरोप लगाया कि प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट(पीएमयू)की मुखिया सोनिया को खुश करते हुए उसके पति को इकोग्रीन ने मैनेजर बना रखा है। पेमेंट में घपला: टैंडर शर्तों के मुताबिक कूड़े से बिजली उत्पादन शुरू करने की अधिकतम दो वर्ष की अवधि तक नगर निगम को 1000 रूपये प्रति टन के रेट से कूड़े की पेमेंट कम्पनी को करनी थी। अधिकतम दो वर्ष की अवधि समाप्त होने पर यह पेमेंट 333 रूपये प्रति टन की दर से की जानी थी। लेकिन पौने तीन वर्ष बीत गए बिजली उत्पादन शुरू नहीं हुआ। फिर भी नगर निगम फरीदाबाद व गुरूग्राम यह पेमेंट 1000 रूपये प्रति टन की दर से कम्पनी को करके सरकार को मोटा चूना लगा रहे हैं। मोटी ग्रांट राशि: चाईनीज कम्पनी पर मोदी सरकार व हरियाणा सरकार खासी मेहरबान है। टैंडर की शर्तों मुताबिक भारत सरकार की स्वच्छ भारत मिशन योजना के निर्देशानुसार इस ठोस कूड़ा प्रबंधन प्रोजैक्ट में कम्पनी को नगर निगम 75 करोड़ रूपये की ग्रांट राशि भी देगा। इसके इलावा कम्पनी डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन की एवज में लोगों से भी प्रतिमाह शुल्क ले रही है।