भिवानी || आगामी चुनाव नजदीक है, जिसके लिए विभिन्न राजनीतिक पार्टियोंं द्वारा तैयारियां जोरो पर है। वही दूसरी तरफ विभिन्न सामाजिक संगठन इस बार ईवीएम की जगह बैलेट पेपर से चुनाव करवाए जाने की मांग कर रहे है, ताकि चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शित को कायम रखा जा सकें। इसी कड़ी में ईवीएम के विरोध मे भारत मुक्ति मोर्चा के बैनर तले विभिन्न संगठनों के पदाधिकारियों ने बुधवार को लघु सचिवालय के बाहर प्रदर्शन किया तथा उपायुक्त के माध्यम से राष्ट्रपति के नाम मांगपत्र सौंपा। बता दे कि ईवीएम के विरोध में भारत मुक्ति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष वामन मेश्राम के निर्देशानुसार देश भर में चरणबद्ध आंदोलन चलाए जा रहे है, जिसके तहत दूसरे चरण में बुधवार को मांगपत्र सौंपे गए, यदि अब भी सरकार मांग नहीं मानती है तो 31 जनवरी को देश भर के जिला मुख्यालयों पर धरने प्रदर्शन किए जाएंगे।
इस मौके पर बहुजन मुक्ति पार्टी हरियाणा के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सुरेश प्रजापति ने कहा कि ईवीएम देश के लोकतंत्र के लिए सबसे बड़ा खतरा है। उन्होंने कहा कि देश के सर्वोच्च न्यायालय ने भी माना है कि ईवीएम के जरिए देश में मुक्त, पारदर्शी व स्वतंत्र चुनाव नहीं हो सकता तथा 8 अक्तूबर 2013 को सर्वोच्च न्यायालय ने ईवीएम के साथ वीवीपैट की पर्चियों की 100 प्रतिशत गिनती करवाए जाने के आदेश भी दिए थे, चुनाव आयोग सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को भी नजरअंदाज कर वीवीपैट की पर्चियों की गिनती नहीं करवा रहा। उन्होंने कहा कि वर्तमान भाजपा की सरकार कहती है कि बैलेट पेपर से रिजल्ट आने में बहुत समय लगेगा, लेकिन भारत एक लोकतांत्रिक देश है तथा यहां पर निष्पक्ष, पारदर्शी व मुक्त चुनाव करवाने के लिए समय महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि चुनाव निष्पक्ष होना चाहिए यह ज्यादा महत्वपूर्ण है। परन्तु चुनाव आयोग सुप्रीम कोर्ट व लोकतंत्र के विरोध में जाकर आरएसएस व भाजपा सरकार के ईशारों पर कार्य करते हुए लोकतंत्र का गला घोंटने में लगा हुआ है।
इस मौके पर ग्राम स्वराज्य मोर्चा से जोगेंद्र तालु व युबा कल्याण संगठन से कमल प्रधान ने कहा कि वर्तमान में पूरे देश में भाजपा का हर वर्ग के द्वारा विरोध किया जा रहा है, मगर इसके बावजूद भी भाजपा पूर्ण बहुमत से सरकार बनाती है, जिसका सीधा ईशारा ईवीएम में धांधली की तरफ जाता है। उन्होंने कहा कि जब 2004 व 2009 में कांग्रेस की सरकार बनी, उस समय भाजपा नेता लालकृष्ण आडवानी, डा. सुब्रमण्यम स्वामी व जीवीएल नरसिंहा राव ने ईवीएम के विरोध में सुप्रीम कोर्ट में केयर दायर किया था तथा इन्ही के केस के आधा पर सुप्रीम कोर्ट ने ये माना कि ईवीएम से निष्पक्ष, मुक्त व पारदर्शी चुनाव नहीं हो सकता। लेकिन आज भाजपा की सरकार ही बैलेट पेपर की बजाए ईवीएम से चुनाव करवाने को प्राथमिकता दे रही है।