भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने भिवानी के पार्टी कार्यालय में किया ध्वजारोहण
प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि हम अमृत महोत्सव मना रहे हैं। सुखद बात तो यह है कि विश्व का जो सिस्टम बना था अब वह बदल रहा है। जो लोग कभी हम पर राज करते थे, यह सोच कर गए थे कि भारत हमें वापस बुलाएगा क्योंकि उनका मानना था देश हमसे नहीं चलेगा। जबकि आज अंग्रेजों का देश भी भारत का बेटा ऋषि सुनक ही चला रहा है। जो अंग्रेज अपनी अमीरी पर गर्व और गौरव करते थे, जिनके राज में सूरज तक नहीं छिपता था, उस देश के प्रधानमंत्री को रोते हुए हमने देखा है।
भिवानी || स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर भिवानी में भाजपा कार्यालय और चौधरी बंसीलाल विश्वविद्यालय में ध्वजारोहण करते हुए भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ ने कहा है कि देश और प्रदेश के युवाओं को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विजन को आगे बढ़ाते हुए वर्ष 2047 तक भारत को विकसित बनाने के लिए कार्य करना है। ओमप्रकाश धनखड़ ने कहा कि विकसित भारत के सपने और संकल्प के साथ-साथ उन शहीदों को याद रखना है, जिन्होंने देश की स्वतंत्रता की खातिर अपनी जिंदगी कुर्बान कर दी। आजादी की लड़ाई में हमने न जाने कितने लोगों को खो दिया। ऐसे सभी महापुरुषों को आज नमन करने का दिन है जिन्होंने अपने प्राणों की चिंता न करते हुए हमें आजाद भारत में सांस लेने का मौका प्रदान किया। मंगलवार को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने पहले भिवानी जिला भाजपा कार्यालय पर ध्वजारोहण किया
भाजपा कार्यालय में ध्वजारोहण उपरांत प्रदेश अध्यक्ष धनखड़ ने कहा कि देश की आजादी के लिए हमें बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ी। हमारी उस समय की पीढ़ी के लंबे संघर्ष के बाद यह आजादी मिली। आजादी के आदोलन में तीन लाख 27 हजार लोगों ने बलिदान दिया। लगभग 12 हजार सेनानियों को अंग्रेज शासकों ने कोर्ट से फांसी की सजा दिला दी थी, इनमें शहीद भगत सिंह, राजगुरु व सुखदेव जैसे बलिदानी शामिल हैं। रामप्रसाद बिस्मिल, राजेंद्र लाहिड़ी, ठाकुर रोशन सिंह व अशफउल्ला खां जैसे क्रांतिकारियों ने अपने जीवन का बलिदान दिया। हजारों को काला पानी की जेल में भेजा गया। मानगढ़ हो या जलियावाला बाग हो, हजारों लोगों को गोलियों से भून दिया गया। श्री धनखड़ ने कहा कि भारत को आजादी विभाजन की कीमत पर मिली। महात्मा गांधी ने कहा था कि देश का विभाजन होगा तो मेरी लाश पर होगा, लोग गांधी जी पर भरोसा करते थे, लेकिन उन्हीं की पार्टी ने विभाजन स्वीकार कर लिया। दस लाख लोग मारे गए। भगत सिंह का गांव पाकिस्तान में चला गया। करतापुर साहिब पाकिस्तान में चला गया। उन्होंने कहा कि जो कौमे अपने बुरे दिनों को भूल जाती है, उनके बूरे दिन फिर से आ जाते हैं। इसलिए अपने बुरे दिनों को याद रखना चाहिए और बेहतर के लिए प्रयास करना चाहिए।