92 वर्ष की उम्र पर भारी पर्यावरण संरक्षण बचाने का जज्बा, बन गया पेड़ बाबा

पेड़ बाबा सत्यदेव सांगवान की मुहिम में उनसे प्रेरणा ले अब परिवार भी जुड़ गया है। उनके बेटे सत्यव्रत सांगवान ने बताया कि पिता ने जो भी पेड़ लगाए, उनकी देखभाल की और वे बड़े हो गए हैं। पिता का स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता तो इस उम्र में चलना भी मुश्किल है, ऐसे में परिवार के लोग पेड़ लगाने की मुहिम को आगे बढ़ा रहे हैं।

चरखी दादरी || पर्यावरण संरक्षण बचाने का जज्बा मन में लिए 92 वर्षीय सत्यदेव सांगवान के समक्ष उम्र कोई मायने नहीं रखती। इस उम्र में भी अपने घर पर पौधे तैयार करते हैं और नि:शुल्क वितरित करते हैं। सत्यदेव सांगवान को पर्यावरण बचाने का जज्बा इस कदर चढ़ा है कि वे लगातार 65 वर्षों से पर्यावरण के प्रति जागरूक करने के लिए अभियान चला रहे है। उनकी क्षेत्र में अपने अनूठे कार्य से मिसाल कायम कर रखी है। अब तक लाखों पेड़ लगा चुके सत्यदेव सांगवान को लोग पेड़ बाबा के नाम से जानते हैं। उनकी इस मुहिम को देखते हुए पंजाब के तत्कालीन राज्यपाल द्वारा उन्हें रेड एण्ड वाईटस बहादुरी पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है। उम्र के आखिरी पड़ाव में भी पर्यावरण बचाने के लिए मुहिम छेड़े हुए हैं।
पेड़ बाबा के नाम से विख्यात चरखी दादरी के गांव फतेहगढ़ निवासी 92 वर्षीय सत्यदेव सांगवान अब भी अपने बेटा या पोतों के साथ पाैधे लेकर पहुंच जाते हैं और जोहड़, सार्वजनिक स्थानों पर पौधे लगाते हैं। इतना ही नहीं बल्कि वे पेड़ लगाने के बाद उनका लालन-पोषण भी अपने खर्चे से करते हैं। बताते हैं कि उनकी पहले साइकिल चलाकर पेड़ों की देखभाल की दिनचर्या रहती थी अब उम्र अधिक होने के बाद वे स्कूटी पर चलकर पेड़ों की देखभाल कर रहे हैं।
सत्यदेव सांगवान एक ऐसे पर्यावरण प्रेमी भी हैं, जो पेड़ पौधों को बचाने की मुहिम में लगे हुए हैं। इंसान के दिलों तक पेड़ पौधों की खामोश भाषा पहुंचे और वह समझे कि बिन पेड़ जीवन सूना है। इसके लिए सांगवान पिछले 65 साल से मुहिम चला रहे हैं। उन्होंने खुद तो करीब 20 हजार से अधिक पौधे लगाए हैं। अपनी इस मुहिम में अन्य संगठनों को भी शामिल कर तीन लाख से अधिक पौधे उनसे भी लगवा दिए हैं। सत्यदेव लोगों से ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने का आह्वान करते हैं और जो लगे हैं, उन्हें भी अपने बेटे-बेटियों की तरह उनकी रक्षा का संकल्प भी दिलाते हैं। सत्यदेव सांगवान अपने घर पर ही नर्सरी तैयार करते हैं और हर वर्ष बारिश के दिनों में जगह-जगह घूमकर बड़ व पीपल के पेड़ लगाते हैं।

फौज में बहादुर सिपाही होने का गौरव मिला
दादरी शहर से सटे गांव फतेहगढ़ में रामानंद सांगवान के घर 15 जनवरी 1935 को जन्में सत्यदेव सांगवान 17 वर्ष भारतीय सेना में सेवा के दौरान 1962 और 1965 के दो युद्धों में देश के बहादुर सिपाही होने का गौरव हासिल कर चुके हैं। बचपन से वृक्ष मित्र सत्यदेव ने सेना में कार्य करते हुए भी अवसर मिलने पर पेड़ लगाने और उनकी परवरिश करने बीड़ा उठाया है।
रोडवेज बस में पौधे व पानी रखते थे
फौजी से रिटायरमेंट के बाद सत्यदेव सांगवान हरियाणा रोडवेज में ड्राइवर के पद पर नियुक्त हुए। ड्राइवर की नौकरी के दौरान वे अपनी बस में हमेशा पौधे पर पानी रखते थे। जहां भी जगह दिखाई दी, वहीं पौधे लगाकर पानी डालना उनकी दिनचर्या होती थी। सत्यदेव बताते हैं कि जिस भी रूट पर बस चलाई, उसी मार्ग, बस स्टैण्ड पर बड़ व पीपल के पेड़ लगाकर उनका प्रतिदिन देखभाल करते थे। परिवहन विभाग से सेवानिवृति के बाद विभिन्न संगठनों के साथ मिलकर पेड़-पौधे लगाना शुरू कर दिया। वे हर वर्ष अपने ही घर में लगभग 500-600 बड़ व पीपल के वृक्षों की नर्सरी लगाते हैं, जिसमें कुछ जरूरतमंदों को नि:शुल्क बांट देते हैं, बाकी सार्वजनिक व धार्मिक स्थलों पर स्वयं लगाकर उनकी परवरिश करते हैं।