जाट आरक्षण हिंसा से जुड़े मामले में रोहतक कोर्ट का एक और अहम फैसला
राज्य के वित्त मंत्री रहे कैप्टन अभिमन्यु की कोठी को जलाने के मामले में आरोपी बनाए गए राहुल दादू व उसके अन्य सभी साथियों के खिलाफ 2018 के फरवरी महीने में यह केस दर्ज किया गया था जिसमें आरक्षण संघर्ष समिति के प्रवक्ता रहे कृष्ण लाल हुड्डा ने आरोप लगाया था कि उपरोक्त सभी लोगों ने आरक्षण संघर्ष समिति के राष्ट्रीय महासचिव अशोक बल्हारा के रोहतक स्थित निवास पर जबरदस्ती घुसकर मारपीट की और जान से मारने की धमकी दी गई।
रोहतक || हरियाणा के जाट आरक्षण हिंसा से जुड़े एक मामले में रोहतक कोर्ट ने बड़ा फैसला देते हुए करीब एक दर्जन आरोपियों को बरी कर दिया है। जुडिशल मजिस्ट्रेट (प्रथम श्रेणी) अभिमन्यु राजपूत की अदालत ने 2018 में दर्ज किए गए इस केस का निपटारा करते हुए सबूतों के अभाव और आरोपियों के विरुद्ध कोई भी ठोस गवाही न होने के चलते उनको निर्दोष मानते हुए आज बरी कर दिया। अदालत से बरी होने वालों में जाट आरक्षण आंदोलन का युवा चेहरा कहे जाने वाले राहुल दादू के अलावा डॉ नरेंद्र बल्हारा और जोगिंदर जोगा समेत कल 12 लोग शामिल हैं। जिन्होंने अदालत के इस फैसले को सच्चाई और इंसाफ की जीत बताया और साथ ही जाट आरक्षण संघर्ष समिति के कर्ताधर्ताओं पर भी एक बार फिर से सवाल उठाए हैं। दरअसल, राज्य के वित्त मंत्री रहे कैप्टन अभिमन्यु की कोठी को जलाने के मामले में आरोपी बनाए गए राहुल दादू व उसके अन्य सभी साथियों के खिलाफ 2018 के फरवरी महीने में यह केस दर्ज किया गया था जिसमें आरक्षण संघर्ष समिति के प्रवक्ता रहे कृष्ण लाल हुड्डा ने आरोप लगाया था कि उपरोक्त सभी लोगों ने आरक्षण संघर्ष समिति के राष्ट्रीय महासचिव अशोक बल्हारा के रोहतक स्थित निवास पर जबरदस्ती घुसकर मारपीट की और जान से मारने की धमकी दी गई। जबकि राहुल दादू और उसके साथियों का कहना था कि संघर्ष समिति ने चंदा एकत्रित करने का काम तो किया लेकिन झूठे मुकदमों में फंसाए गए युवाओं की कोई मदद नहीं की। इसी बात से खफा होकर वे लोग 26 फरवरी 2018 को अशोक बल्हारा के घर बातचीत करने गए थे लेकिन सरकार के इशारे पर उनके खिलाफ झूठा मुकदमा दर्ज करवाकर उन्हें जेल भेज दिया था और आज रोहतक की माननीय अदालत ने उन्हें बेकसूर मानते हुए बाइज्जत बरी कर दिया है। राहुल दादू और उसके बाकी साथियों ने केस की मजबूत पैरवी के लिए एडवोकेट अशोक कादियान का भी धन्यवाद किया।