अमेरिकन सुंडी ने किसानों की बढ़ाई चिंता

किसान सूबे सिंह, सुनिल, लीलाराम, सोमबीर, हवा सिंह, सतबीर आदि ने बताया कि बाजरे की फसल में जो मेहनत व खर्चा लगना था वह लग चुका है और फसल लगभग तैयार हो चुकी है और अंतिम स्टेज पर है। लेकिन बाजरे की सिरटी पर कीड़ा लगा हुआ है जो लगातार बाजरे के दानों को खाकर सिरटी को खाली कर रहा है।

चरखी दादरी || फसल पकने के साथ जहां किसानों के चेहरों पर रौनक दिखाई देती है उसके उलट बाजरा की फसल पर अमेरिकन सूंडी के प्रकोप ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। ऐसे में किसान अब अपनी फसल बचाने के लिए कृषि विभाग के कार्यालयों में चक्कर काट रहे हैं। बाजरा फसल मंे काफी नुकसान के चलते किसानों के खेती से कमाई के सपनों पर पानी फिर गया है। हालांकि कृषि विभाग की टीमों द्वारा निरीक्षण कर फसलों पर लगे रोग को देखते हुए दवाइयों का स्प्रे करने की सलाह दी जा रही है। ऐसे में किसानों ने सरकार से बाजरा फसलों में लगे रोग को क्षतिपूर्ति के माध्यम से उचित मुआवजा की मांग उठाई है।

दक्षिण हरियाणा का चरखी दादरी जिला कृषि बाहुल्य क्षेत्र हैं और अधिकतर आबादी कृषि पर ही आधारित है। खरीफ सीजन के दौरान किसानों द्वारा मुख्यत: कपास व बाजरे की खेती की जाती है। मौजूदा सीजन में बाजरे की अगेती फसल में दाना बनना शुरू हो चुका है। लेकिन बाजरे की सिरटी पर अमेरिकन सूंडी का प्रकोप देखने को मिल रहा है। अमेरिकन सूंडी बाजरा की तैयार हो रही सिरटी के दानों को चट कर रहा है। अपनी मेहतन की कमाई को बर्बाद होता देख किसानों की चिंता बढ़ने लगी है। किसान सूबे सिंह, सुनिल, लीलाराम, सोमबीर, हवा सिंह, सतबीर आदि ने बताया कि बाजरे की फसल में जो मेहनत व खर्चा लगना था वह लग चुका है और फसल लगभग तैयार हो चुकी है और अंतिम स्टेज पर है। लेकिन बाजरे की सिरटी पर कीड़ा लगा हुआ है जो लगातार बाजरे के दानों को खाकर सिरटी को खाली कर रहा है। जिससे फसल के उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा और उन्हें आर्थिक नुकसान उठाना पड़ेगा। उन्होंने कृषि विभाग व प्रशासन से इस पर नियंत्रण करने की मांग की है। साथ ही प्रभावित क्षेत्रों की क्षतिरपूर्ति की मांग उठाई।

समय रहते नियंत्रण नहीं हुआ तो पूरी फसल हो सकती है बर्बाद : कृषि विशेषज्ञ

कृषि विशेषज्ञ डा. चंद्रभान श्योरण ने कहा कि कई स्थानों पर बाजरे की सिरटी पर कीड़े की शिकायत मिली है ये अमेरिकन सूंडी है। उन्होंने कहा कि उमस भरे मौसम में नमी के चलते इसका प्रकोप बढ़ा है और काफी सालों बाद इसका प्रकोप बाढड़ा क्षेत्र में देखने को मिला है। उन्होंने कहा कि यह धीरे-धीरे बाजरे के दानों को खाकर नुकसान पहुंचाता है फसल में प्रकोप बढ़ने पर पूरी फसल को भी बर्बाद कर सकता है इसलिए समय रहते इसका नियंत्रण आवश्यक है। उन्होंने बताया कि किसान काेराजन 60 मिलीलिटर या इमामेक्टिन बेंजोएट 100 मिलि लिटर का 150 से 200 लिटर पानी में घोल बनाकर फसल पर छिडकाव करें जिससे इसको नियंत्रित किया जा सकता है।