अंबाला में जल रही पराली!

अंबाला || सरकार बहुत कोशिश कर रही है की किसान पराली न जलाएं। इसके लिए कृषि विभाग की तरफ से लोगों को जागरूक भी किया जा रहा है और किसानों को सरकार की तरफ से पराली न जलाने के लिए प्रति एकड़ के हिसाब से प्रोत्साहन राशि भी दी जा रही है। बावजूद इसके अंबाला में पराली जलाने की घटनाएं कम होने का नाम नहीं ले रही। धान की फसल लगभग कट चुकी है लेकिन फिर भी जो धान के बचे हुए अवशेष है उनको अब भी किसान जला रहे है|

अंबाला || सरकार बहुत कोशिश कर रही है की किसान पराली न जलाएं। इसके लिए कृषि विभाग की तरफ से लोगों को जागरूक भी किया जा रहा है और किसानों को सरकार की तरफ से पराली न जलाने के लिए प्रति एकड़ के हिसाब से प्रोत्साहन राशि भी दी जा रही है। बावजूद इसके अंबाला में पराली जलाने की घटनाएं कम होने का नाम नहीं ले रही। धान की फसल लगभग कट चुकी है लेकिन फिर भी जो धान के बचे हुए अवशेष है उनको अब भी किसान जला रहे है|  जिसकी वजह से अंबाला की हवा भी जहरीली हो गई है। अंबाला एग्रीकल्चर डिप्टी डायरेक्टर जसविंदर सिंह ने बताया कि पिछ्ले 4 वर्षों में जितने चालान कटे उतने इस एक सीजन में काटे गए हैं। जो चालान किए गए है उनसे लगभग तीन लाख से ज्यादा रुपए वसूले गए है। हालंकि उन्होंने कहा कि पूरा प्रयास किया जा रहा है कि लोग पराली न जलाएं। इसके लिए कृषि विभाग की टीम लागतार फील्ड में घूम रही है।
 

पूरे हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं में अबकी बार फिर बढ़ौतरी हुई है। इसी कड़ी में अंबाला में भी पराली जलाने की घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रही। लागतार सरकार कोशिश कर रही है कि किसान पराली न जलाएं इसके लिए कृषि विभाग के माध्यम से किसानों को जागरूक भी किया जा रहा है। इस बारे में जानकारी देते हुए अंबाला एग्रीकल्चर डिप्टी डायरेक्टर जसविंदर ने बताया कि अंबाला में लगभग पराली को लेकर 95% एरिया एडजेक्ट हो चुका है। उन्होंने कहा कि जो 5 % एरिया बचा है वो बासमती का है जिसकी हाथ से कटाई की जाती है। उन्होंने बताया की अभी तक हमारे पास 165 लोकेशन आई जिसको हमने वेरिफाई किया है। वहीं उन्होंने बताया कि 3 लाख 15 हजार रूपए का फाइन किया गया है। उन्होंने कहा की हमारा प्रयास है कि आगे आगजनी न हो। उन्होंने कहा की पराली जलाने को रोकने के लिए हमारी कृषि विभाग की टीम पिछले 15 दिनों से फील्ड में है और प्रशासन का इसमें पूरा सहयोग मिल रहा है। उन्होंने कहा कि त्यौंहारों की सीजन में भी कर्मचारियों की छूटी रद्द कि गई और उसी का परिणाम है कि अबकी बार पिछले साल के मुकाबले आगजनी की घटनाएं कम हुई। पिछले साल 272 केस थे और अबकी बार हम कोशिश करेंगे की 200 से कम हों। वहीं उन्होंने पिछले सालों में हालंकि आगजनी की घटनाएं ज्यादा हुई थी लेकिन चालान कम हुए थे।