चरखी दादरी से 102 लोग पहुंचे थे अयोध्या, ढांचे से निकाली थीं ईंटें!
चरखी दादरी || विवादित ढांचे को लेकर अयोध्या में वर्ष 1990 और 92 में चरखी दादरी से 102 लोगों का दल गया था। कुछ लोगों ने ढांचे से ईंटें भी निकाली थीं। दल के कुछ सदस्यों ने वरिष्ठ अधिवक्ता व संघ सदस्य जीतराम गुप्ता की अगुवाई में उस दौरान की यादें साझा कीं और बताया कि अयोध्या जाने के प्रयास में कई लोगों को जेल भी जाना पड़ा।
चरखी दादरी || विवादित ढांचे को लेकर अयोध्या में वर्ष 1990 और 92 में चरखी दादरी से 102 लोगों का दल गया था। कुछ लोगों ने ढांचे से ईंटें भी निकाली थीं। दल के कुछ सदस्यों ने वरिष्ठ अधिवक्ता व संघ सदस्य जीतराम गुप्ता की अगुवाई में उस दौरान की यादें साझा कीं और बताया कि अयोध्या जाने के प्रयास में कई लोगों को जेल भी जाना पड़ा। वहीं, कुछ लोग जैसे-तैसे करीब 100 किलोमीटर की दूरी पैदल तय कर अयोध्या तक पहुंचने में कामयाब रहे। गोली लगने से कोठारी बंधुओं की मौत होने पर चरखी दादरी के दो कारसेवक उनके शव को वहां से उठाकर ले गए थे। वर्ष 1990 व 92 में अयोध्या पहुंचने वाले कारसेवकों का कहना है कि आज उन्हें खुशी है कि उस दौरान का संघर्ष रंग लाया।
एडवोकेट जीतराम गुप्ता ने बताया कि वर्ष 1990 और 92 में वो अयोध्या गए थे। नांगलोई स्टेशन से उन्होंने 102 टिकट खरीदी थी और उसी दौरान उन्हें बताया गया कि यूं तो सभी पकड़े जाओगे। इसके बाद सब अलग-अलग हो गए और काफी मशक्कत के बाद अयोध्या पहुंचे। विवादित ढांचे से जब ईंटें उखाड़ी गईं तो वो वहीं मौजूद थे। वहां के परिवार ने आठ बाई छह के कमरे में 27 लोगों को ठहराया जबकि दंपती और उनके बच्चे बाहर ढाई फुट के चबूतरे पर बैठे रहे। वहीं रामकिशन शर्मा ने बताया कि वर्ष 1990 में बहुत बड़ा आंदोलन हुआ और पांच-पांच लोगों की टीमें बनी। योजना तैयार की गई कि अगर एक गिरफ्तार हो तो पांचों गिरफ्तारी दें। दिल्ली से ट्रेन में बैठे थे और अलीगढ़ में गिरफ्तार कर आगरा जेल में भेजा गया। उस दौरान जेल में कोई जगह नहीं थी जबकि स्कूल व विश्वविद्यालयों को भी जेल बनाया गया। आज रामलला के मंदिर का निर्माण होने की बेहद खुशी है।