संस्कृत भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए भिवानी में 10 दिवसीय संस्कृत संभाषण शिविर का आगाज
सभी प्राचीन ग्रंथ और चारों वेद संस्कृत में हैं। यह भारत राष्ट्र की एकता का आधार है। उन्होंने कहा कि संस्कृत भाषा प्राचीन भाषा है और आम आदमी को इसको अपने जीवन में अपनाना चाहिए।
भिवानी || सनातन धर्म की रीढ़ कही जाने वाली संस्कृत भाषा के प्रचार-प्रसार हेतु संस्कृत भारती एवं शिवशक्ति जनकल्याण सेवा ट्रस्ट के संयुक्त तत्वावधान में 10 दिवसीय आवासीय संस्कृत संभाषण शिविर का आयोजन स्थानीय हालुवास गेट स्थित सिद्धपीठ बाबा जहरगिरी आश्रम में पीठाधीश्वर अंतर्राष्ट्रीय श्रीमहंत डा. अशोक गिरी महाराज के सान्निध्य में किया गया। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष डा. वेदप्रकाश यादव ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम की शुरूआत की। शिविर के पहले दिन 80 विद्यार्थियों ने भाग लिया, जिनमें आधे से ज्यादा महिलाएं भी शामिल रही।
इस मौके पर अंतर्राष्ट्रीय श्रीमहंत डा. अशोक गिरी महाराज ने कहा कि सनातन धर्म की मूल में ही संस्कृत है। उन्होंने कहा कि संस्कृत भाषा विज्ञान की भाषा है, जो सभी भाषाओं में सर्वश्रेष्ठ है और इसके प्रचार-प्रसार के लिए कार्य करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि संस्कृत हमारे देश की प्राचीनतम भाषा है। सभी प्राचीन ग्रंथ और चारों वेद संस्कृत में हैं। यह भारत राष्ट्र की एकता का आधार है। उन्होंने कहा कि संस्कृत भाषा प्राचीन भाषा है और आम आदमी को इसको अपने जीवन में अपनाना चाहिए।
इस मौके पर हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड के चेयरमैन डा. वीपी यादव ने कहा कि संस्कृत सभी भाषाओं की जननी है, इसीलिए इसका प्रचार-प्रसार कर लुप्त होती भाषा को बचाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि संस्कृत ऋषि-मुनियों की भाषा है और इस भाषा को न पढऩे से ऋषि मुनियों के ज्ञान पर शोध और अन्वेषण नहीं हो पा रहा है, जिससे कि संस्कृत भाषा पर संकट गहरा गया है। इसीलिए हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड द्वारा संस्कृत भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए बहुत से जरूरी कदम उठाए गए है।
कार्यक्रम के मुख्य व्यवस्थापक चौधरी बंसीलाल राजकीय महिला महाविद्यालय तोशाम के असिस्टेंट प्रोफेसर जयपाल शास्त्री ने बताया कि इस प्रकार के कार्यक्रमों से छात्रों में संस्कारों को सरलता से प्रवेश करवाया जा सकता है संस्कार और संस्कृति यदि हमने बचानी है तो संस्कृत का अध्ययन और अध्यापन करना बहुत जरूरी है। संस्कृत के माध्यम से ही हम अपने नैतिक मूल्यों का संरक्षण कर पाएंगे।
शिविर में बारे में जानकारी देते हुए आश्रम के सुरेश सैनी ने बताया कि यह शिविर 10 दिन तक चलेगा तथा शिविर में संस्कृत भाषा को संस्कृत माध्यम से पढ़ाया जाता है। जिससे विद्यार्थियों को 10 दिन में संस्कृत बोलनी आ जाती है। संस्कृत भारती का उद्देश्य है कि जन-जन तक संस्कृत भाषा को पहुंंचाया जाए। इस उद्देश्य को मध्य नजर रखते हुए इस प्रकार के संस्कृत संभाषण शिविरों का आयोजन किया जा रहा है। इस समय संपूर्ण भारत वर्ष में संस्कृत संभाषण शिविरों का आयोजन भिन्न-भिन्न स्थानों पर किया जा रहा है।