दोस्ती में बदली दो बहुबलियों की दुश्मनी, जाने क्या है पूरा मामला
आनंद मोहन और पप्पू यादव की चर्चा हर तरफ है,कोसी इलाके कि एक बड़े राजपूत दबंग,मंडल कमीशन राजनीतिक वर्चस्व,जनता दल की महिषी सीट से विधायक बने
||Bihar || Rajnipal | बिहार के सियासत इन दिनों बहुबली आनंद मोहन और पप्पू यादव की चर्चा हर तरफ है। जो कभी कोशी में बंदूकों की गर्जन के साथ उछाले जाते थे जयकारा के साथ जो दो नाम। बन बैठे थे एक अगड़ा और एक पिछड़ा की शान। जमाना उन्हें याद करता था आनंद मोहन और पप्पू यादव के नाम। 1990 के दशक में यह जमाना वह था जब आरक्षण समर्थन और विरोध के नाम पर गोलियां पहले बोलती थी और इंसान की जुवान बाद में। जाति के नाम पर वह एक दूसरे के भक्षक बने थे तो अपने जात के संरक्षक थे। यह दौर लालू प्रसाद का था, जहां कमंडल और मंडल की टकराहट से रोज नई इबारत गढ़ी जा रही थी।
आनंद मोहन और पप्पू यादव एक समय आरजेडी के प्रमुख लालू प्रसाद यादव के खासम खास हुआ करते थे लेकिन मंडल कमीशन राजनीतिक वर्चस्व के कारण दोनों में दुश्मनी हो गई थी जो काफी लम्बे समय के बाद आज फिर गले मिलते नजर आ रहे है। जैसे की मानो आनद मोहन और पप्पू यादव के बीच कभी दुश्मनी ही नहीं थी जो काफी चर्चा में है।
आपको बता दे कि आनंद मोहन का जन्म 26 जनवरी, 1956 को बिहार के सहरसा जिले के नवगछिया गांव में हुआ था। जो एमरजेंसी के दौरान 2 साल तक जेल में रहे और जेल से बाहार आने पर अपनी दबगई शुरू कर दी। जिसके बाद आनंद मोहन कोसी इलाके कि एक बड़े राजपूत दबंग कि नाम से प्रसिद्ध होने लगे चाहे हत्या हो या मारपीट, इनकी कहानी आनंद मोहन की दबंगई कि नाम से बया होने लगी।
आंनद मोहन ने पहली बार 1990 में जनता दल की महिषी सीट से विधायक बने। उसी समय मंडल कमीशन लागु हो गया था, लेकिन आनंद मोहन उसके विरोध में उतर गए थे। जिसके बाद आनंद मोहन 1993 में बिहार पीपल्स पार्टी और समता पार्टी कि साथ मिल गए। जिसके कारण इलाके में दोनों बहुबली नेताओ ने अपनी छवि बनाई। जिसमे एक राजपूत और सवर्णो का नेता और दूसरा यादव और पिछडो का नेता माना जाने लगा।
तीन दशक कि बाद अब दोनों नेताओ के बीच दुश्मनी की दरार टूटती हुई नज़र आ रही है। तस्वीरों में देख सकते हो कि पप्पू यादव ने अपने जानी दुश्मन को जेल से बाहार आते ही गले लगा लिया जो काफी चर्चा में है।बताया जा रहा है की आनंद मोहन पप्पू यादव की बेटी की शादी कि आए है। दोनों बहुबली नेताओ कि आपस में गले मिलने से जाहिर होता है की जैसे पिछले झगड़ो को भूलकर करीबी दोस्त बन चुके हो।