पढ़ेगा इंडिया तभी तो आगे बढ़ेगा इंडिया

[sanjay khanna , gurugram ] विश्व के मानचित्र पर साइबर सिटी के रूप में अपनी पहचान बना चुके गुरुग्राम में कोई भी बच्चा निरक्षर न रहे। इसके लिए प्रदेश सरकार ने गवर्नमेंट स्कूलों की स्थापना की थी, लेकिन उनके रखरखब पर कोई ध्यान नही दिया गया, जिसके चलते अधिकांश सरकारी स्कूल खंडहर में तबदील हो गए। ये तस्वीरें है भीमगढ़ खेड़ी के सीनियर सेकेंडरी स्कूल की। आप देख सकते है कि स्कूल की बिल्डिंग किस कदर खंडहर हो गई है। ऐसे में स्कूल के छात्र-छात्राएं खुल्ले आसमान के नीचे बैठ कर शिक्षा लेने को मजबूर हो रहे है। ऐसा नही है कि खस्ताहाल स्कूल के से शिक्षा विभाग या जिला प्रशासन अनभिज्ञ हो। भीमगढ़ खेड़ी आरडब्ल्यूए ने कई बार प्रशसन को अवगत करवाया है लेकिन समस्या का कोई समाधान नही हो सका है।

विश्व के मानचित्र पर साइबर सिटी के रूप में अपनी पहचान बना चुके गुरुग्राम में कोई भी बच्चा निरक्षर न रहे। इसके लिए प्रदेश सरकार ने गवर्नमेंट स्कूलों की स्थापना की थी, लेकिन उनके रखरखब पर कोई ध्यान नही दिया गया, जिसके चलते अधिकांश सरकारी स्कूल खंडहर में तबदील हो गए। ये तस्वीरें है भीमगढ़ खेड़ी के सीनियर सेकेंडरी स्कूल की। आप देख सकते है कि स्कूल की बिल्डिंग किस कदर खंडहर हो गई है। ऐसे में स्कूल के छात्र-छात्राएं खुल्ले आसमान के नीचे बैठ कर शिक्षा लेने को मजबूर हो रहे है। ऐसा नही है कि खस्ताहाल स्कूल के से शिक्षा विभाग या जिला प्रशासन अनभिज्ञ हो। भीमगढ़ खेड़ी आरडब्ल्यूए ने कई बार प्रशसन को अवगत करवाया है लेकिन समस्या का कोई समाधान नही हो सका है। 

भीमगढ़ खेड़ी आरडब्ल्यूए की माने तो स्कूल के प्रिंसिपल से जब स्कूल की खस्ता हालत के बारे में बात की गई तो उन्हें बताया कि इस सम्बंध में वह जिला शिक्षा अधिकारी को अवगत करवा चुके है। स्कूल की बिल्डिंग पुरानी हो चुकी है और इसे तोड़ कर दोबारा से बनाया जाना है, जिसके लिए एनआईटी की रिपोर्ट का इंतजार है। वही जब स्कूल में सफाई के बारे में बात की गई तो बताया गया कि सफाई तो रोज होती है, लेकिन कूड़ा उठाने की कोई व्यवस्था नही है। नगर निगम की जो गाड़ी कूड़ा उठाने के लिए भीमगढ़ खेड़ी में आती है वह कूड़ा उठाने से मना कर देती है,जिसके चलते काफी परेशानी हो रही है। इसकी शिकायत भी की गई है ,लेकिन सितिथि वही ढाक के तीन पात वाली है। 

भीमगढ़ खेड़ी का एकमात्र स्कूल खस्ताहाल होने के चलते जहा छात्र-छात्राएं खुल्ले आसमान के नीचे बैठ कर शिक्षा ग्रहण करने को मजबूर हो रहे है तो वही शिक्षा विभाग और जिला प्रशासन को स्कूल की खस्ता हालत दिखाई नही दे रही। क्या दोनों को किसी बड़े हादसे का इंतजार है,जिसके बाद शिक्षा विभाग और जिला प्रशसन की नींद खुलेगी।