भूख और प्यास से काल का ग्रास बनी दर्जनों गाय

मामला मिडिया के सामने आयो और जब हालत देखे तो हालात बद से बदतर मिले, चारा तो समाजसेवी भिजवा रहे हे लेकिन एक बड़ा सवाल सामने हे की आखिर इन हालतो के लिए जिम्मेवार कौन ,लोग दूध देना बंद करने के बाद आवारा छोड़ देते हे गायों को और वह गंदगी में मुँह मारकर अपना पेट भरने को मजबूर होती हे ,सरकार और प्रसाशन इस और अगर समय रहते कार्यवाही करता और ध्यान देता तो गोमाता के यह हालात नहीं होते और न ही काल की भेट चढ़ती गौमाता।

भूख और प्यास से काल का ग्रास बनी  दर्जनों गाय

पानीपत (मदन लाल ) || जिस देश में गाय को माता का दर्जा दिया जाता हे उसी देश और प्रदेश में  लोगो की अनदेखी के चलते लगातार दम तोड़ रही हे गाय। भूख और प्यास के कारण  में 60 से  ज्यादा  गायों की हो चुकी हे मौत ,मौत  के बाद भी नहीं मिल रहा गौमाता की रूह को सकुन ,सैकड़ो कुत्ते दफन गायों को बाहर निकालकर बना रहे अपना शिकार ,जिन्दा बछड़ो को भी ले जाते हे घसीटकर जंगल में बनाते अपना शिकार ,गौशाला की हालत दयनीय ,बिजली -पानी ही नहीं सेड तक नहीं हे गौशाला मेंदान में आये पैसे से करना पड़ता हे गुजारा , समाज की अनदेखी के चलते गौमाता कहलाने वाली गाय लगातार काल की भेट चढ़ने को मजबूर है ,पानीपत के गांव नारायण  में 13 एकड़ में गायों के लिए गौशाला का निर्माण तो करवाया गया लेकिन  निर्माण के बाद आजतक चारदीवारी तक नहीं करवा पाया प्रसाशन और गांववासी ,चंदे  के सहारे हो रहा सेकड़ो गया का गुजारा ,बिजली पानी की किलत के साथ आवारा कुतो के आतंक से पीड़ित हे गौमाता ,जिन्दा गायों को अपना शिकार तो बना ही रहे हे यह जालिम शिकारी साथ ही मरने के बाद भी उन्हें जमीं से निकालकर खा रहे हे जिससे चारो और बदबू फेल रही हे वंही गोशाला में भी गए बीमार हो रही हे , गौशाला के संचालकों ने इस और कोई ध्यान नहीं दिया जिसके चलते गर्मी के मौसम में  इस गौशाला में पिने के पानी के साथ गायों के लिए चारे का प्रबन्ध नहीं हो पाया और गायों की मोत होने लगी। एकसमाजसेवी इतनी बड़ी गोशाला में दिन  रात गायों की सेवा में लगा हे ताकि गोमाता को बचाया जा सके  तस्वीरें देखकर आँखों में आशु आ जाये -- ऐसा नजारा हे नारायण गोशाला का । मामला मिडिया के सामने आयो और जब हालत देखे तो हालात बद से बदतर मिले,  चारा तो समाजसेवी भिजवा रहे हे  लेकिन एक बड़ा सवाल सामने हे की आखिर इन हालतो के लिए जिम्मेवार कौन ,लोग दूध देना  बंद करने के बाद आवारा छोड़ देते हे गायों को और वह गंदगी में मुँह मारकर अपना पेट भरने को मजबूर होती हे ,सरकार और प्रसाशन इस और अगर समय रहते कार्यवाही करता और ध्यान देता तो गोमाता के यह हालात नहीं होते और न ही काल की भेट चढ़ती गौमाता। देर आये दुरस्त आये प्रसाशन और सरकार अब भी अगर अपनी कुम्भकर्णी नींद से नहीं जगा तो वह दिन दूर नहीं जब गौमाता को तस्वीरों में ही देखा जायेगा।