हिसार में लुवास के वैज्ञानिको ने तैयार किया सोया मिल्क...

हिसार की लुवास में एक बहुत बड़ी कामयाबी हासिल की है। जी हा उन लाेगाें के लिए खुशखबरी है। जाे दूध की डेयरी से बनाए गए खाेया मिल्क काे पीने से हिचकते हैं।

हिसार में लुवास के वैज्ञानिको ने तैयार किया सोया मिल्क...

हिसार (प्रवीण कुमार) || हिसार की लुवास में एक बहुत बड़ी कामयाबी हासिल की है। जी हा उन लाेगाें के लिए खुशखबरी है। जाे दूध की डेयरी से बनाए गए खाेया मिल्क काे पीने से हिचकते हैं। लुवास के पशुधन उत्पाद प्राैद्याेगिकी के वैज्ञानिकाें ने लंबी रिसर्च के बाद दूध के अल्टरनेटिव के ताैर पर खाेया मिल्क के स्थान पर उससे भी स्वादिष्ट साेया मिल्क तैयार किया है। जिसे मैंगाे और स्ट्राबेरी फ्लेवर्ड डालकर तैयार किया है। जिसकी खासियत यह है कि इसमें फैट नाम मात्र ही हाेने के साथ-साथ यह पाेषण से भी भरपूर है। यहीं नहीं इसमें कार्बाेहाइड्रेड भी कम है।

लुवास की असिस्टेंट प्राेफेसर डा. नेहा ठाकुर ने बताया कि कुछ लाेग डेयरी से निकाले दूध से बनाए गए खाेया मिल्क का सेवन करने से हिचकते है। इसी काे ध्यान में रखते हुए पशु उत्पाद प्राैद्याेगिकी के वैज्ञानिकाें ने ऐसा प्राेडक्ट बनाने पर रिसर्च करने की ठानी जाे दूध से न बना हाे। तथा लाेगाें काे भी पसंद आएं। असिस्टेंट प्राेफेसर डा. नेहा ठाकुर ने बताया कि गाय का दूध सबसे पौष्टिक होता है। कई लोगों को एनिमल दूध से एलर्जी होती है। इसलिए हमने यह सोया मिल्क बनाया है। दूसरा पशु दूध से कोलेस्ट्रोल बढ़ने का खतरा बना रहता है। सोया दूध को पीने से कोलेस्ट्रोल नहीं बढ़ता है। सोया मिल्क में जीरो कोलेस्ट्रोल होता है। इसमें कार्बोहाइड्रेट पशु के दूध के बराबर होता हैं। कोलेस्ट्रोल नहीं होने से यह दूध हेल्दी होता  है। सोया मिल्क आसानी से तैयार किया जा सकता है। इसको बनाने की लागत भी कम आती है। इसको देखते हुए हमने इस पर रिसर्च करना चाहा। करीब 2 साल की रिसर्च के बाद हमारे द्वारा यह दूध तैयार किया गया है। असिस्टेंट प्राेफेसर डा. नेहा ठाकुर ने बताया कि हमने  मैंगाे, स्ट्राबेरी यूज कर अलग अलग फलवर में हमने साेया मिल्क तैयार किया गया है। रिसर्च में पाया गया है कि साेया मिल्क खाेया मिल्क की अपेक्षा जहां लाे फैट है। वहीं दूध का भी अल्टरनेटिव है। इसके अंदर फाइबर भी ज्यादा है। और स्ट्राबेरी ओर मैंगाे का प्रयाेग हाेने के कारण यह दूध से ज्यादा स्वादिष्ट है। हालांकि इसमें कार्बाेहाइड्रेड कम पाया जाता है। साेया मिल्क की तरह ही काजू, राइस, काेकाेनेट और आमन मिल्क भी तैयार किया जा सकता है। डॉ नेहा ठाकुर का कहना है कि लाेग भी साेया मिल्क काे काफी पसंद कर रहे हैं। लुवास के वैज्ञानिक लाेगाें काे साेया मिल्क तैयार करने के बारे में जानकारी दे रहे हैं। साेया मिल्क तैयार कर किसान अपनी आमदनी काे भी बढ़ा सकते हैं।

कैसे होता है सोया मिल्क तैयार -
असिस्टेंट प्राेफेसर डा. नेहा ठाकुर ने बताया कि सोया मिल्क बनाने का तरीका बहुत ही आसान है। सोयाबीन को मिक्स करके उसके छिलके उतारकर उसको ग्राइंडर कर ले। उसके बाद उसमें बराबर का पानी मिला ले। पानी मिला लेने के बाद उसको साफ कपड़े से छान लें। जो निकल रहा है। वह हमारा कच्चा दूध है। इसको अब 75 से 80 डिग्री पर गरम कर ले। उसके बाद यह दूध हम एक सप्ताह तक यूज कर सकते हैं। हमने सोया मिल्क को और बेहतर बनाने के लिए उसमे कुछ फ्रूट प्रोडेक्ट और मिला दिए। जिससे इसका फलेवर और अच्छा हो जाएगा । स्टॉबेर्री, आम और अन्य फ्रूट के रूप में प्रोडेक्ट है। उनको मिलाने के बाद ये जो अपना आम दूध होता है। उसी तरह हो जाता है। उन्होंने बताया की अगर सोया मिल्क को घर में बनाया जाये तो अलग बात है। नहीं तो बाजार में यह 100 रूपये से 120 रूपये किलो तक मिलता है।


क्या क्या और प्रोडेक्ट सोया मिल्क से तैयार कर रहा है विश्वविद्यालय -
लुवास की असिस्टेंट प्राेफेसर डा. नेहा ठाकुर ने बताया कि सोया मिल्क से अब विश्वविद्यालय ने श्री खंड बनाया है। जो गाय के दूध से बनने वाले श्री खंड से अच्छा है। जिसको हम दस दिनों तक सटोरेज कर बहुत अच्छे से रख सकते है। दूसरा हमारे दवारा सोया पनीर भी बनाया जा रहा है। और सोया दही भी है। और हमारे यहाँ कई सोया के प्रोडेक्ट बनाने पर रिसर्च चल रही है।