गुरुग्राम में पौधारोपण पर भी पड़ा कोरोना का साया...

हर साल मानसून की शुरुआत के साथ ही वन विभाग पौधारोपण अभियान चलाता है। न केवल स्वयं पौधे लगाता है बल्कि स्कूलों, गैर सरकारी संगठनों से लेकर सरकारी विभागों को भी बांटता है। वन विभाग हर साल अलग-अलग अभियान चलाकर पौधारोपण कार्यक्रम करता है साथ ही लोगों को भी जागरूक किया जाता है।

गुरुग्राम में पौधारोपण पर भी पड़ा कोरोना का साया...

गुरुग्राम (संजय खन्ना) || कोरोना काल में कोरोना का साया पौधारोपण पर भी पड़ा ।हर साल वन विभाग द्वारा पौधारोपण का लक्ष्य रखा जाता है।इस साल 25 लाख 269 पौधा रोपण का लक्ष्य रखा गया था। लेकिन कोरोना के चलते पौधारोपण के अभियान में कई बाधाएं आई। जिसके कारण इस साल वन विभाग द्वारा रखे गए इस लक्ष्य में से 30 सितंबर तक मात्र 17 लाख 80 हजार 500 पौधे ही रोपे गए। जबकि पिछले साल यानी 2019 में तकरीबन 26 लाख का पौधारोपण का लक्ष्य रखा गया था। जिसमें से विभाग द्वारा 19 लाख का लक्ष्य पूरा किया गया था। वही पौधारोपण के लिए वन विभाग द्वारा अलग-अलग स्कीम भी चलाई जाती है। इनमें से कुछ स्कीम है ब्लॉक स्कीम,पोधगिरी और कैम्पा स्कीम। ब्लॉक की स्कीम में गुरुजल की टीम के साथ मिलकर पंचायत लेवल पर जाकर पौधारोपण के कार्यक्रम चलाए जाते हैं। इस बार 8 लाख 40 हज़ार पौधे रोपने का इस स्कीम में लक्ष्य रखा गया था जिसमें से 5 लाख 86 हज़ार पौधे लगाए गए।

वही पौधारोपण में स्कूली बच्चों का भी खासा महत्व होता है ।पोधगिरी स्कीम में वन विभाग द्वारा 6वी से 12वीं क्लास के बच्चों से पौधारोपण कराया जाता है। इस स्कीम में इस बार 6 लाख 70 हज़ार पौधारोपण का लक्ष्य रखा गया था लेकिन कोरोना के चलते तमाम स्कूल बंद थे। जिसके कारण मात्र 2 लाख 30 हज़ार पौधे ही रोपे गए।यानी कि कोरोना का प्रभाव पौधारोपण कार्यक्रम पर भी पड़ा।वही कैम्पा स्कीम के तहत लक्ष्य को पूरा किया गया।वन विभाग के क्षेत्र में हुए निर्माण में जो पौधे हटाए जाते हैं। उसके बदले दूसरी जगह पौधारोपण किया जाता है और उस इस स्कीम को कैम्पा स्कीम कहा जाता है। वहीं इस साल 5 लाख पौधरोपण कैम्पा स्कीम में किए जाने थे और वन विभाग द्वारा 5 लाख पौधे रोपे जा चुके हैं।वही नर्सरी चलाने वाले नीरज का कहना है कि कोरोना काल के कारण ग्राहक पौधे भी नही ले रहे है ।हालांकि पौधे घरों में ऑक्सीजन देने का काम करते है। लेकिन फिर भी लोग पौधा खरीदने नही आ रहे है ।

गुरुग्राम जिले में 11,562  हेक्टेयर इलाका वन क्षेत्र का हिस्सा है ।गुरुग्राम करीब दो लाख एकड़ क्षेत्र में फैला है। इसमें मात्र 800 एकड़ वन क्षेत्र है। जिले में मात्र 9 फीसदी वन क्षेत्र है, जबकि भारतीय वन नीति के मुताबिक 33 फ़ीसदी वन क्षेत्र होना चाहिए। संरक्षित वन क्षेत्र के नाम पर करीब साढे़ तीन सौ एकड़ में सुल्तानपुर वन क्षेत्र और करीब 300 एकड़ वन क्षेत्र सर बसीर में है। इसके अलावा 70 एकड़ में सोहना के पास रायपुर गांव में वन क्षेत्र है। पौधे पौधारोपण के 6 से 7 साल बाद मात्र 40 से 50 फ़ीसदी पौधे जीवित रहते है ।पौधारोपण के बाद उस पौधे की परवरिश के नाम पर साल में छह बार पानी देने का प्रावधान है। दो महीने में पानी देने का नंबर आता है, तब तक वह पौध सूख चुकी होती है। गर्मी के मौसम में तो पौधे को कम से कम 10 दिन में पानी की जरूरत होती है। अरावली के क्षेत्र में जहां पौधारोपण होता है, वहां टैंकर से पानी देने की व्यवस्था है। पहाड़ी क्षेत्र में टैंकर से पानी देना संभव ही नहीं है। तीन साल के बाद अधिकतर पौधे जहां पानी की कमी से मर जाते हैं वहीं काफी पौधों को पशु खा जाते हैं।जिससे 6 से 7 साल बाद केवल 40 से 50 फीसद पौधे ही बचते हैं।